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जो बिना वेश भी साधना करे वह आराधक: साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधा’

जो बिना वेश भी साधना करे वह आराधक: साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधा’

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम जैन मेमोरियल सेन्टर में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधा’ ने कहा कि प्रत्येक जीव सुख, शांति और आनन्द चाहता है। सुख भौतिक पदार्थों से, मन को अच्छा लगे तो मन में शांति हो जाती है लेकिन आनन्द तो भगवान की शरण से ही प्राप्त होता है।

सुख दुख में बदल सकता है, शांति अशांति बन सकती है लेकिन परमात्मा के चरणों में मिला आनन्द शाश्वत है, कभी नहीं मिट सकता। उस आनन्द की प्राप्ति के लिए भगवान ने कहा है कि स्वयं को पहचानो, स्वयं में रमण करो। जीवन में साधना से ही प्रभु ने संगम के उपसर्गों को सहन किया और उसके बाद भी उसके प्रति मन में दया थी।

मन में सहिष्णुता है, जो बिना विशेष वेश के भी साधना करता है वह आराधक है और जो संत वेश में भी साधना न करे वह विराधक है। सद्भावना से ही साधना, सत्य की खोज कर सकते हैं, साधना को जी सकते हैं।

साध्वी हेमप्रभा ‘हिमांशु’ ने कहा मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसकी दोनों मु_ी बंद होती है और अंगुलियों के छोर अंदर की ओर छिपे होते हैं, जिसमें जीवन की सफलता के रहस्य का बड़ा संदेश है, संगठन, प्रेम और सहयोग का। मु_ी खुल जाए तो सभी अंगुलियां बिखर जाती है जो संगठन के बिखराव होने पर शक्ति का नष्ट होना दर्शाता है।

आज के समय में परिवारों का विघटन होने का प्रमुख कारण है आपसी प्रेम, सामंजस्य, सहयोग और संगठन का अभाव होना, अपने निजी स्वार्थों को बड़ा मानकर चलने से बड़े परिवार टूटकर छोटे हो रहे हैं। जहां इन गुणों निवास होगा वहीं लक्ष्मी का वास होता है। आज के समय में पैसे इंपोर्टेंट हैं लेकिन परिवार तो अर्जेन्ट है।

इंपोर्टेंट के लिए अर्जेंट को छोड़ देना मूर्खता है। घर को स्वर्ग समान बनाने के लिए पांच गुणों- जेब गरम, बड़े बुजुर्गों के प्रति शरम, जुबान नरम, दिल में रहम, जीवन में धरम का समावेश परिवार के सभी सदस्यों में होना जरूरी है। घर की महिलाएं, सास-बहु आदि सभी रिश्तों में आपसी प्रेम और सामंजस्य समझ का होना अति आवश्यक है, तभी घर को स्वर्ग बनाया जा सकता है। रिश्तों में आपसी जलन न हो, वे टूट न जाए और कोई सदस्य धर्म में कच्चा न रहे। जिन घरों का वातावरण ऐसा होता है वहां श्रीवृद्धि होती है।

चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री हीराचंद पींचा ने बताया कि धर्मसभा में मनीषा चोरडिय़ा-13, सुमित्रा चोरडिय़ा-14, कमलादेवी चोरडिय़ा-16 की तपस्या के पच्चखाण हुए। विमल सुराणा, सैदापेट के १५ की पच्चखावणी हुई, जिनका चातुर्मास समिति ने सम्मान किया।

आचार्य आनन्दऋषि के जन्मोत्सव और साध्वी उम्मेदकंवर की पुण्यतिथि पर त्रिदिवसीय कार्यक्रम के तहत 29 जुलाई को पैंंसठिया यंत्र जाप, ज्ञान संस्कार शिविर और ड्रा निकाला जाएगा। 30 को दया दिवस, तीन सामायिक, ३१ को सामूहिक एकासन और गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा।

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