विशाल हस्तकला प्रदर्शनी का समापन
आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि मोहजीत कुमारजी के नेतृत्व एवं मुनि भव्य कुमारजी और मुनि जयेश कुमारजी के निर्देशन में विशाल हस्तकला प्रदर्शनी के समापन समारोह में नगर के गणमान्य जनों की विशेष उपस्थिति रही।
तेरापंथ संघ के साधु-साध्वियों द्वारा निर्मित हस्तकला,चित्रकला, लिपिकला, गुंथाई कला और रंगाई कला के अदभुत नमूनों को नगरवासियों के अतिरिक्त राजस्थान के विभिन्न शहरों एवं मुम्बई, अहमदाबाद, सूरत, बेंगलोर, चैन्नई, दिल्ली, हरियाणा, उडीसा, कोलकाता आदि शहरों से समागत लोगों ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर अभिभूत हुए। हस्तकला के विभिन्न प्रकारों को देख अनेको विशिष्ट साधु-साध्वियों एवं ब्रह्माकुमारी बहनों ने अपनी शुभाशंसाएं लिखित रूप में प्रकट की। समापन के अवसर पर मुनि मोहजीतकुमारजी ने फरमाया कि जीवन में कला का बड़ा महत्व है। यह हमें एकाग्रचित ‘बनाकर जीवन को नई दिशा देती है।
हस्त कला प्रदर्शनी का स्वरूप जीवन के सामयिक मूल्यों की प्रस्तुति के साथ जुड़ी हुई है। जीवन के प्रत्येक व्यवहार में मानवीय और आध्यात्मिक प्रेरणा इस प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य रहा। जैन धर्म में इस कला का क्रम सदियों से चला आ रहा है। जिसे तेरापंथ धर्म संघ के साधु-साध्वियों ने विकास के शिखर तक पहुंचाया।
प्रदर्शनी दर्शकों में अनेकों स्कूलों के विद्याथीं तथा स्थानीय संस्थाओं के साथ विभिन्न वर्गों के हजारों लोगों ने प्रदर्शनी से प्रेरणा प्राप्त की हस्तकला प्रदर्शनी के समापन पर तेरापंथी सभा अध्यक्ष धनराज ओस्तवाल, तेयुप अध्यक्ष संदीप ओस्तवाल और प्रदर्शनी संयोजिका चन्द्रा बालड ने मुनिवर एवं कार्यकर्ताओं के प्रति आभार प्रकट किया।