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ज्ञान वाणी

जीवन में विनय नहीं तो धर्म :उपप्रवर्तक विनयमुनि

जीवन में विनय नहीं तो धर्म :उपप्रवर्तक  विनयमुनि
चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि ने नवपद आयंबिल आराधना के पांचवें दिन कहा मनुष्य को प्रभु का नाम लेते हुए अपने जीवन की नैया पार लगाने का प्रयास करना चाहिए।
श्रीपाल और मैना सुंदरी के चारित्र को सुन कर अपने जीवन में बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने कहा ओली नामक दवा लेने से संसार के सभी दुख नष्ट हो जाते हंै। जीवन में जो लिखा है वहीं होगा अपने से सुख और दुख नहीं लाया जा सकता लेकिन मीठे वचनों का प्रयोग कर मनुष्य अपने जीवन को सुखमय जरूर बना सकता है।

जीवन को सफल बनाना है तो आयंबिल कर लेना चाहिए, कर्म निर्जरा के लिए यह सबसे अच्छा साधन है। धर्म की शुरुआत विनय से होती है, जीवन में विनय नहीं तो धर्म नहीं। सागरमुनि ने कहा विशालता आने के बाद ही मनुष्य के जीवन में साधुता आती है और वे ऊपर उठता है। विशालता आने से मनुष्य को उच्च स्थान मिलता है।

ऐसे में मनुष्य के जीवन में भी विशालता होनी चाहिए। साधना और तप होने पर मनुष्य में साधुता आती है। धर्म और तप की आराधना करना ही संयम होता है। अपना लक्ष्य प्राप्त करने की जिसमें धुन होती है वही साधु कहलाता है। जो जीवन को बदलने का प्रयास करते है उनका जीवन बदल भी जाता है।

सोच कर बैठने वालों के हाथ कुछ भी नहीं आता। पुरुषार्थ करना बहुत ही कठित होता है लेकिन बिना इसके जीवन सफल भी नहीं हो सकता। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी एवं अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

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