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जीवन में रहे सभी गुणों का आधार विनय है: तीर्थ भद्रसूरिश्वर

जीवन में रहे सभी गुणों का आधार विनय है: तीर्थ भद्रसूरिश्वर

किलपाॅक में विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर ने कहा जीवन में रहे सभी गुणों का आधार विनय है क्योंकि विनय के मूल में कृतज्ञता है । यह दूसरों के उपकारों का संस्मरण है । कृतज्ञता के बिना विनय नहीं हो सकता । ज्ञान प्राप्ति के लिए विनय और नम्रता जरूरी है ।

उन्होंने कहा ज्ञान ग्रहण करने के बाद इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कहीं अहंकार जन्म न ले ले । ज्ञान के द्वारा विनय- विवेक की प्राप्ति करनी चाहिए ।
हमें कषायों की कालिमा और विषयों की वासना का त्याग करना चाहिए । चित्त को मलिन बनाने वाला तत्व विजातिय का राग और स्वजातीय के प्रति द्वेष उत्पन्न करता है ।
स्वजातीय जगत के प्राणी मात्र हमारे अपने हैं । यह जीवों की आपस की प्रेम की बात है । सब जीवों को आत्मबन्धु की तरह देखने का यह भाव जब  हृदय में पैदा होगा तो प्राणी मात्र के लिए प्रेम बढेगा । उन्होंने कहा आत्मा के अलावा सब कुछ विजातिय तत्व है ।
आचार्य ने कहा आप जब झगड़ा करते हो तो सजातीय से करते हो, विजातिय से नहीं । आज तक आपने चित्त मलिन करने की यही क्रिया की है और कर रहे हो ।
उन्होंने कहा संसार एक रंगमंच है । पता नहीं रंगमंच की इस दुनिया का यह खेल कब खत्म होगा । आचार्य ने कहा हमने इस खेल को वास्तविक समझ लिया है । राग द्वेष से चित्त की मलिनता ही होती है ।
उन्होंने कहा कर्तव्य करने योग्य नहीं हैं तो मत करो । इससे आत्मा को लाभ होगा । धर्म की क्रियाएँ जैसे पूजा, सेवा, शील, सामायिक आदि धर्म की सब  क्रियाएँ करने योग्य है । लेकिन सिद्धर्षि गणि ने शास्त्रों में बताया है जो धर्माराधना क्रिया हम करते हैं उससे चित्त की निर्मलता होनी चाहिए । मन को चंद्रमा जैसा उज्ज्वल बनाओ ।
मन की निर्मलता ही धर्म का मापदंड है । यदि मन की शुद्धि नहीं हो रही है यह सही नहीं है ।
धर्म क्रिया की मात्रा नहीं देखनी है बल्कि चित्त की निर्मलता को देखना है । चित्त की निर्मलता से आत्म प्रसन्नता का आभास होगा । उन्होंने कहा सामायिक का तात्पर्य है समता का भाव और प्रतिक्रमण यानी पाप का पश्चाताप । कषायों को दूर करना ही मन की निर्मलता का निर्माण करता है । प्रायश्चित करना अत्यंत कठिन होता है ।
उन्होंने कहा परमात्मा के गुणों का अहोभाव करने के लिए रविवार को शक्रस्तव पूजन का अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा । उन्होंने 22 जुलाई से शुरू होने वाले प्रतर तप से जुड़ने का आह्वान किया ।

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