दिव्य महामांगलिक का श्रवण करने श्रीजी वाटिका में उमड़े श्रद्धालु
इंदौर। श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ धाम कृष्णगिरी के पीठाधीपति, सर्वधर्म दिवाकर यतिवर्य, राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी महाराज साहब का रविवार को यहां 36 दिवसीय विशेष साधना आराधना महोत्सव का भव्यातिभव्य प्रवेश गाजे-बाजे से हुआ।
अरुण कुमार रितेश ऋषभ सौरभ नाहर परिवार के गुमास्ता नगर स्थित निवास से वरघोड़े के साथ चंदन नगर स्थित श्रीजी वाटिका पहुंचे राष्ट्रसंतश्री का अनेक जगहों पर श्रद्धालुओं ने अक्षत-श्रीफल से वधावना भी किया।
दोपहर 3:00 बजे श्रीजी वाटिका पहुंचे संत श्री ने यहां उपस्थित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को संगीतमय भक्ति गीतों के साथ झूमने पर मजबूर कर दिया। राष्ट्रसंतश्रीजी ने इस दौरान दिव्य महामांगलिक भी प्रदान की। इस अवसर पर डॉ वसंतविजयजी ने अपने प्रवचन में कहा कि ईश्वर की भक्ति में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में हजारों पंथ संप्रदाय होंगे मगर जिन शासन की गुरु भक्ति की आराधना का कोई सानी नहीं है। महामांगलिक एवं मंत्रों की शक्ति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए डॉ वसंतविजयजी ने कहा कि अपने आराध्य के प्रति समर्पित भक्तों की भक्ति में गुरु की शक्ति स्वत: जुड़ जाती है।
गुरु कृपा से ही जीवन में उन्नति और प्रगति प्राप्त हो सकती है। राष्ट्रसंतश्री ने कहा कि भक्ति पूर्वक श्रवण की गई मांगलिक सांसारिक व्यक्ति को आधी, व्याधि व उपाधि से छुटकारा दिलाते हुए मानसिक शांति प्रदान कराती है।
राष्ट्रसंतश्रीजी ने यह भी कहा कि दिव्य महामांगलिक में प्रयुक्त मंत्रों के संयोजन से उत्पन्न ध्वनि के फलस्वरुप पुद्गलों का ही नहीं समूचे वातावरण का शुद्धिकरण हो जाता है। कार्यक्रम में सभी का स्वागत एवं आभार रितेश नाहर ने जताया।