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ज्ञान वाणी

जीवन की सार्थकता के लिए नियति को पहचानें: आचार्य पुष्पदंत सागर

जीवन की सार्थकता के लिए नियति को पहचानें: आचार्य पुष्पदंत सागर

चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा बच्चा मां से और श्रावक साधु से सीखता है। जगत बहुत बड़ा है किसी से भी जीने की कला सीख सकते है। लेकिन हर कार्य को सफल बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।

प्रयत्न करना हमारे हाथ में है पर परिणाम हमारे हाथ में नहीं है। भाग्य के अधीन है। अनुकूलता में मन की प्रसन्नता को और प्रतिकूलता में मन को स्थिर रखना मुश्किल है। सुख में धन का दुरुपयोग करने से और बुरे कर्म करने से खुद को दूर रखने का प्रयास ही धर्म है।

गिरता हुआ मनुष्य बच सकता है, पतित होता हुआ मनुष्य संभल सकता है यदि प्रतिकूलता के समय धैर्य और समता से जीए। धोखा खाने पर आंख खुलती है। उसी आंख के खुलने पर सच्चाई की संवेदना होती है। अपनी नियति को पहचानो और अपने भवितव्य जानो ताकि मनुष्य जन्म सार्थक हो सके।

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