साप्ताहिक गुरुवार अनुष्ठान आज, भिक्षुदया कार्यक्रम 25 को
बेंगलुरु। यहां वीवी पुरम स्थित महावीर धर्मशाला में चातुर्मासार्थ विराजित विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका, ज्योतिष चंद्रिका एवं शासन सिंहनी साध्वीश्री डॉ कुमुदलताजी ने बुधवार को अपने प्रवचन में कहा कि संसार में सूर्योदय एवं सूर्यास्त का समय तय है, लगभग हर सांसारिक गतिविधियों का भी निर्धारित समय होता है।
मगर व्यक्ति ही है जो अपने जीवन की दिशा को अर्थात लक्ष्य निर्धारित करके नहीं चलता है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए क्या करना है, किस मुकाम को हासिल करना है इसका निर्धारण करने वाला सफलता की शिखरतम ऊंचाइयों को प्राप्त कर लेता है।
उन्होंने कहा जिस व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य नहीं है वह इस दुनियावी संसार में भटकता रहता है। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वाधान आयोजित धर्मसभा में विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक साधक का लक्ष्य भी मुक्ति अर्थात मोक्ष प्राप्ति का होता है।
साध्वीश्री ने कहा अध्यात्म के क्षेत्र में बतौर श्रावक-श्राविका उसके जीवन में दान, धर्म, सेवा, परोपकार, त्याग, तपस्या तथा व्रत-नियम की पालना होनी चाहिए।
डॉ कुमुदलताजी ने कहा कि धर्म, पुण्य तथा सुकृत कार्यों का पाथेय संग हो तो यह जीवन रूपी यात्रा सहजता से पार हो जाती है तथा साधक को मुक्ति रूपी मंजिल मिल जाती है।
साध्वीश्रीजी ने कहा कि प्रभु की आराधना स्तुति श्रद्धालु के जीवन में रिद्धि-सिद्धि, सुख-शांति व समृद्धि के साथ-साथ पूर्व उपार्जित कर्मों की निर्जरा भी करती है।
साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने एक गीतिका प्रस्तुत की, साथ ही कहा कि 4 गतियों में सिर्फ मनुष्य गति ही ऐसी है जहां से जीव अपने संपूर्ण कर्मों को क्षय कर परम पद मुक्ति को प्राप्त कर सकता है। साध्वीश्री डॉ पद्मकीर्तिजी ने गुरुवार,22 अगस्त के साप्ताहिक अनुष्ठान एवं 25 अगस्त रविवार को सामूहिक भिक्षु दया कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।
साध्वीश्री राजकीर्तिजी के मंगलाचरण वाचन से शुरू हुई धर्मसभा में जोधपुर, चेन्नई सहित शहर के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
समिति के महामंत्री चेतन दर्डा ने संचालन किया। मंत्री अशोक रांका ने बताया कि जय जिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया तथा अतिथियों का समिति पदाधिकारियों द्वारा स्वागत सत्कार किया गया।
सभी का आभार समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नथमल मुथा ने जताया।