चेन्नई.
पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित आचार्य सौ यदर्शन ने कहा नमस्कार मंत्र के दूसरे पद में सिद्ध भगवान का नमन किया जाता है। जिन्होंने अपने जीवन को साध लिया एवं सभी कार्य पूर्ण हो गए वही सिद्ध कहलाते हैं। आठ कर्मों कर क्षय कर अनंत ज्ञान, दर्शन, चरित्र, सुख, क्षायिक समकित, अटल अवगाहना, अलघु गुरु, अमूर्ति और अनंत अकरण वीर्य को भीतर से प्रकट कर मोक्ष में विराजित है। सिद्ध का रंग लाल होता है जो क्रांति का प्रतीक है। भीतर की क्रांति से कर्म शत्रुओं का नाश कर सिद्ध अवस्था प्राप्त करना ही इस रंग का संदेश है। सिद्धात्मा लोक के अग्रभाग में विराजित है। मुनि दिव्यदर्शन ने कहा संसार में स्वयं के नाम से पहचान बनाने वाले उत्तम पुरुष, मामा के नाम से लोग जिनको जानते हों वे अधम पुरुष और जिसकी ससुर के नाम से पहचान बनती है वह अधमाधम पुरुष है। पिता की कमाई पर बेटा अभिमान करे तो कोई बड़ी बात नहीं बल्कि मजा तो तब है जब बेटे की कमाई पर पिता नाज करे। अध्यक्ष कमलचंद खटोड़ ने बताय कि आचार्य ने तपस्यार्थियों की आय िबल और नौ की तपस्या का प्रत्या यान करवाया।