साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथ भवन के तपोमय प्रागंण में श्रीमती सुशीलादेवी धारीवाल के मासखमण तप की अनुमोदना में तेरापंथी सभा एवं संघीय संस्थाओं द्वारा तप अनुमोदना का कार्यक्रम आयोजित हुआ। अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में साध्वीश्री ने कहा जिनशासन का प्राण तत्व है- तपस्या। तपस्या जिनशासन की नीवों को मजबूती प्रदान करता है।
तपस्या जिनशासन का श्रृंगार है। तपस्या जीवन की बहार है। तपस्या से जीवन गुलजार है। तपस्या कर्म निर्जरा का अमोध साधन है। तपस्या एक ऐसी पावक है, जिसमे तपकर आत्मा कुंदन सी पावन बन जाती है। तपस्या वो मंदार है, जिसकी छांव तले बैठने वाला व्यक्ति परम आनंद व समाधि की अनुभूति करता है। विशेषकर सावन व भादव महिने में जिनशासन के उपवन में तप के खिलने लगते हैं। तप फूलों की मोहक परिमल से पूरा वातावरण सौरभमय बन जाता है। साध्वीश्री ने कहा श्रीमती सुशीलाजी धारीवाल मासखमण तप की भेंट लेकर उपस्थित है।
मासखमण का मनोरम दीप जला है। पूरा परिसर तप ज्योति से ज्योतिर्मय बन रहा है। पूरे परिवार का अच्छा सहयोग रहा है। श्रीमती विमलाजी मांडोत ने अठारह का तप किया है। बारह मासखमण कर चुके है। तपस्वियों की ख्यात में नाम लिखाया है। तेरहवें मासखमण की हम मंगल कामना कर रहे हैं। साध्वी कर्णिकाश्री, साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी समत्वयशा व साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किया। साध्वी मैत्रीप्रभा ने मंच संचालन किया। सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड ने साध्वीप्रमुखाश्री के संदेश का वाचन करते हुए सभा की ओर से शुभकामना संप्रेषित की।
महासभा से ज्ञानचन्दजी आंचलिया, तेयुप अध्यक्ष मुकेश नवलखा, श्री धनराज धारीवाल, श्रीमती उषा बोहरा, संगीता गादिया ने विचार व्यक्त किए।परिवार की बहनों ने गीतिका व बच्चों ने कविता प्रस्तुत की। सभा व ट्रस्ट की ओर से दोनों तपस्वियों का सम्मान किया।
तेयुप द्वारा आयोजित भिक्षु स्मृति साधना के शुभारम्भ के अवसर पर साधकों को साध्वीश्री ने संकल्पों से संकल्पित करवाया। श्रीमती गणपतकंवर डूंगरवाल की स्मृति सभा में शोक संतप्त परिवार को साध्वीश्री ने सम्बल प्रदान किया।
स्वरुप चन्द दाँती, प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई