आत्मबली और मनोबली थे आचार्य भिक्षु
चेन्नई. माधवरम में जैन तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में विराजित आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में शुक्रवार को उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ ने तेरापंथ धर्मसंघ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षु का स्मरण कर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर आचार्य के साथ उनके एक ओर पूरा साधु समुदाय तो दूसरी ओर साध्वी व समणी समुदाय विराजित था तथा सामने मुमुक्षुओं सहित श्रावक-श्राविकाओं का जनसमूह उपस्थित था।
कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य के नमस्कार महामंत्रोच्चार के साथ हुई। इसके बाद उन्होंने प्रवचन में कहा आदमी के भीतर अनंत खजाना भरा हुआ है। कोई-कोई अतीन्द्रिय ज्ञानी उसका साक्षात्कार कर लेता है। गहराई में पैठने वाला तो कोई-कोई ही होता है। संभवत: आचार्य भिक्षु उस ज्ञान की गहराई तक जाने वाले आचार्य थे।
आचार्य ने राजनगर की घटना का प्रसंग को सुनाते हुए कहा उनको लगा कि वर्तमान में साधुओं की साधुता में पूर्ण शुद्धि नहीं है। इसके लिए उन्होंने अपने गुरु से बात की, लेकिन प्रतिकूलता के कारण आचार्य भिक्षु ने अभिनिष्क्रमण किया। अपनी साधना के बल पर केलवा की अंधेरी ओरी में ठहरे और आज के ही दिन नई दीक्षा स्वीकार की।
इस दीक्षा स्वीकरण को ही संभवत: तेरापंथ का स्थापना दिवस कहा जाता है। क्योंकि तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु ही थे जिन्होंने एक नई प्रणाली आरम्भ की जिसका नाम तेरापंथ रखा गया। उन्होंने संघ की एक विशिष्ट नियमावली तैयार कर उसको चिरंजीवी बनाया। आचार्य भिक्षु आत्मबली और मनोबली थे।
आचार्य ने कहा कि आज का दिन साध्वीप्रमुखा से भी जुड़ा हुआ है। आज उनका दीक्षा दिवस भी है। वे हमारे धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखा हैं। उनका स्वास्थ्य निरामय रहे। इससे पूर्व मुख्य नियोजिक साध्वीप्रमुखा और मुख्य मुनि ने भी उपस्थित जनमेदिनी को आचार्य भिक्षु के जीवनवृत्त के विषय में अलग-अलग दृष्टिकोण से व्याख्यायित किया।
मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्य ने चेन्नई से अगले चातुर्मास तक के संभावित यात्रापथ के विषय में बताया। इसके उपरान्त संतवृंद, साध्वीवृंद व मुमुक्षुओं द्वारा गीत का संगान कर आचार्य भिक्षु को भावांजलि अर्पित की गई। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष हंसराज बेताला, महामंत्री विनोद बैद तथा अखिल भारतीय युवक परिषद के अध्यक्ष विमल कटारिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।