एएमकेएम में कृतज्ञता ज्ञापन दिवस हुआ आयोजित
वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के तत्वावधान और युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी महाराज के सान्निध्य में रविवार मध्याह्न कृतज्ञता ज्ञापन दिवस आयोजित किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। महासंघ के अध्यक्ष सुरेश लुनावत ने सबका स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सबने चातुर्मास को सफल बनाने में हमारा साथ निभाया है। उन्होंने युवाचार्यश्री से आग्रह किया कि आचार्य पद ग्रहण करने के बाद पहला चातुर्मास हमारे संघ को प्रदान करें। उन्होंने कहा मैं इस चातुर्मास में अपने पिताजी का सपना पूरा होते हुए देख रहा हूं।
युवाचार्यश्री ने इस मौके पर संक्षिप्त में कहा कि गुरुदेव आचार्य आनंद ऋषिजी का आशीर्वाद रहा है, जिस कारण यह चातुर्मास सफल हुआ है। श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी ने कहा कि श्रमण संघ का यह चातुर्मास एक इतिहास बना है। चातुर्मास के दौरान अद्भुत क्षणों के हम साक्षी बने। कांफ्रेंस की पूर्व महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष कमला मेहता ने कहा कि युवाचार्यश्री सरलता, विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं। आज कृतज्ञता प्रकट करना भी कठिन है क्योंकि शब्द और समय दोनों कम है। गुरु भगवंत के जीवन से हमें चार महिनों की उपलब्धि मिली। गुरुदेव ने जब भी दिया, दिल खोलकर दिया। इस चातुर्मास में गुरुदेव का स्नेह हमें यहां खींच लाया।
इस अवसर पर चातुर्मास में चिकित्सकों द्वारा दी गई सेवाओं के लिए उनको सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख डॉ. सिकंदर जैन, डॉ. चंचल जैन, डॉ. प्रवीण जैन, सुश्री सुनीता छल्लाणी, डॉ. पवन बोहरा थे। महासंघ के चेयरमैन अभय श्रीश्रीमाल ने अपने भाव प्रकट करते हुए युवाचार्यश्री की आगे की सुखसाता पूर्वक यात्रा के लिए शुभकामना व्यक्त की।
महासंघ के महामंत्री धर्मीचंद सिंघवी ने युवाचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि चातुर्मास में कई गतिविधियां कल्पना से परे थी। उन्होंने कहा चेन्नई में पहली बार आडम्बररहित और सादगी से चातुर्मास संपन्न हुआ। चातुर्मास के दौरान 70 उपसंघों को जोड़कर महासंघ, महिला महासंघ और युवा संघ का गठन हुआ। आप सबकी इच्छा शक्ति ने इस चातुर्मास को सहज बना दिया। उन्होंने कहा चातुर्मासिक प्रवेश के क्षण स्वर्ण अक्षरों में अंकित किए जाएंगे। उन्होंने चातुर्मास में आयोजित हुए कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि कर्मा की कक्षा, निरंतर नवकार मंत्र जाप, आनंद बाल संस्कार शिविर, एक दिवसीय साधु जीवन एक अकल्पनीय अनुभव रहे। चातुर्मास में तप-आराधना का महाकुंभ बन गया। पर्युषण व संवत्सरी पर्व की आराधना ने संपूर्ण वातावरण को धर्ममय बना दिया। सामूहिक पचकावनी, अनुमोदना, सामूहिक क्षमापना पर्व में श्रद्धालुओं की उपस्थिति से एएमकेएम प्रांगण छोटा प्रतीत हुआ।
इस दौरान डॉ.उत्तमचंद गोठी ने 360 श्रद्धालुओं को 12 व्रतों से जोड़ा। आनंद जन्मोत्सव, संपुट जाप व उसकी विवेचना को तो कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। दादावाड़ी में भागवती दीक्षा, उसके बाद एएमकेएम में बड़ी दीक्षा का सौभाग्य मिला। महावीर प्रभु की अंतिम देशना का वांचन एक सुर में, अनोखे अंदाज में हुआ जिसने चातुर्मास में चार चांद लगा दिए। चातुर्मास में जैनत्व और विज्ञान की कार्यशालाएं आयोजित हुई। इसके अलावा रोजाना कई गतिविधियां हुई। जीवदया कलेक्शन में कीर्तिमान स्थापित हुआ। उन्होंने कहा ऐसे अद्भुत कार्यक्रमों की याद घणी- घणी आएगी। उन्होंने चातुर्मास समितियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भोजनशाला समिति ने दक्षता के साथ अपने कार्य का निर्वहन किया।
आवास निवास समिति, वैयावच्च समिति, आहार- विहार समिति, आनंद बाल संस्कार शिविर आदि समितियों ने युवा महासंघ व महिला महासंघ की निगरानी में अद्भुत कार्य किया। वाहन व्यवस्था समिति, प्रवचन समिति, तपस्या समिति, पारणा समिति, पंडाल समिति, पार्किंग समिति ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उन्होंने सभी समितियों के प्रति महासंघ का आभार जताया। उन्होंने महासंघ के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनका सहयोग व मार्गदर्शन समय-समय पर मिलता रहा।
उन्होंने कहा बड़ी संख्या में श्रावक, श्राविकाओं की उपस्थिति से ही चातुर्मास की छवि बनी। चातुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए उन्होंने क्षमायाचना की। मदनलाल गुंदेचा ने चातुर्मास की एक उपलब्धि के रूप में नई श्रमण विहार सेवा के गठन की रुपरेखा बताई। उन्होंने कहा यह चातुर्मास आध्यात्मिक रूप से अद्भुत सिद्ध हुआ। वरिष्ठ श्रावक मोहनलाल गडवानी, सज्जनराज तालेड़ा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। चातुर्मास में सक्रिय सहयोग के लिए अभिनंदन पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया।
इस दौरान नांदगांव, चिंचवाड़, छत्तीसगढ़ क्षेत्रों से गुरुभक्तगण युवाचार्यश्री के दर्शनार्थ व वंदनार्थ उपस्थित हुए। इस अवसर पर महिला मंडल की सरोज कोठारी, संगीता बांठिया ने कृतज्ञता स्वरूप काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी। राकेश विनायकिया ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया। कमलचंद छल्लाणी ने संचालन किया।