चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा एवं अन्य सहवर्तिनी साध्वीवृंद के सानिध्य में प्रवर्तक पन्नालाल की जयंती मनाई गई। इस मौके पर सिद्धिसुधा ने कहा अगर चिंतन करोगे तो नहीं बदलने वाला जीवन भी अपने आप ही बदल जाएगा। लोग करना तो बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन उसके लिए चिंतन की जगह चिंता कर समस्याओं को पैदा कर लेते हैं।
सही मायने में जीवन में आगे वहीं जाते हैं जो चिंता करने की जगह चिंतन कर जीवन को संवारने का काम करते हैं। महापुरुषों ने अपने जीवन को चिंतन कर बदला है। अगर चिंता करते तो वे भी महान लोगों में शामिल नहीं हो पाते।
समय रहते ही महान लोगों ने चिंतन कर जीवन को सवारने के साथ दूसरों को भी यही सलाह दी। गुणानुवाद सभा में आकर महान लोगों के बारे में सुनने से कुछ हासिल नहीं होगा। जब तक उनके चारित्र को जीवन में उतारा नहीं जाएगा तब तक जीवन बदलना संभव नहीं है।
पन्ना गुरु ने स्वाध्याय का बिगुल बजाया, अनेक परोपकारी कार्यो की प्रेरणा दी। साध्वी प्रभा कंवर ने गुण स्मरण करते हुए उनको श्रद्धाभक्ति अर्पित की।
साध्वी सुविधि ने कहा सूत्रों के अध्ययन से जीवन के बहुत सारे गलत मार्ग कट जाते हैं। अगर सच्चे मन से इनका अध्ययन किया जाए तो जीवन बदल जाता है। दुनिया में बदलाव तो सब चाहते हैं लेकिन बदलता कोई नहीं।
लोग चाहते हैं सामने वाला उनके अनुरूप बदल जाए लेकिन याद रहे कि सामने वाले को बदलने से पहले मनुष्य को स्वयं को बदलने की जरूरत है। जो मानव खुद को बदल लेते हैं उन्हें दूसरों को बदलने की जरूरत ही नहीं पड़ती है।
ऐसा सिर्फ मनुष्य के संस्कारों पर ही निर्भर करता है। अगर अच्छे संस्कार होंगे तो निश्चय ही दुनिया भी अच्छी लगेगी। महावीर सिसोदिया, गौतमचंद मूथा व उत्तम नाहर ने भी गुरु पन्ना पर विचार रखे।
धर्मसभा में अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, सुरेश कोठारी, जेपी ललवानी, मदन खाबिया, गौतमचंद दुगड समेत अनेक लोग उपस्थित थे। संचालन मंगलचंद खारीवाल ने किया।