चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने संवत्सरी पर कहा यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। यह सात दिनों की तपस्या के परिणाम का दिन है। आज के दिन एक दूसरे से क्षमा मांगनी चाहिए।
मनुष्य जन्म हुआ है तो गलगियां करना स्वभाविक है। ऐसा कोई नहीं होगा जो गलती नहीं करता होगा, लेकिन गलती करने के बाद अफसोस बहुत कम लोगों को होता हैं। जिन्हें अफसोस होता है वो अपनी गलती की माफी मांग कर मजबूत रिश्तों को कमजोर होने से बचा लेते हैं। लेकिन कुछ लोग अपने अहंकार में आकर अच्छा खासा रिश्ता भी तोड़ देते हैं।
याद रहे अहंकार रिश्तों को बनाता नहीं तोड़ता है। जिसे इन सात दिनों में क्षमा करना और क्षमा मांगना नहीं आया उसका पर्यूषण पर्व सफल नहीं होगा। जीवन में आगे जाना है तो पीछे मुडक़र देखना बंद करना होगा। जब तक पीछे मुडक़र देखंगे आगे नहीं निकल सकते। ऐसा तभी संभव होगा जब लोग अपने अहंकार को खत्म कर क्षमा करना सीखेंगे।
कहीं जाने के लिए अगर आगे देखेंगे तभी सही मार्ग पर बढ़ सकेंगे। बार बार मुड़ कर पीछे देखने वाले रास्ता भटक जाते हैं। जीवन मे आगे जाना है तो लोगों की गलतियों को नजरंदाज करना सीखना होगा।
जब तक गलती को याद रखेंगे तब तक गलती करने वालों को माफ नहीं कर पाएंगे। इसलिए क्षमा कर भूल जाने की आदत डालनी होगी। जैसा करोगे वैसा ही मिलेगा।
अगर अहंकार से दूर होकर किसी को क्षमा कर दिया तो निश्चय ही क्षमा मिल भी जाएगी। ऊंचाई पर जाना है तो जीवन में क्षमा करना सीख लें। जो इस मार्ग का अनुसरण करेगा उसके जीवन का कल्याण हो जाएगा।