जन्माष्टमी कार्यक्रम सम्पन
चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा अनजाने में मनुष्य बहुत हिंसा करता है। उठते बैठते चींटी और मक्खी समेत अन्य जीवों की हिंसा होती है। अगर चींटी को कुछ हो जाये तो मनुष्य उसको वापस जीवन नही दे सकता है। जिसे वापस जीवन नही दे सकते उसे चोट भी नहीं पहुंचानी चाहिए।
धर्म कर रहे हैं तो धर्म के नियम भी मानने चाहिए। उन्होंने कहा कृष्ण जन्माष्टमी पर हमें भी जीवन में बदलाव की ओर बढऩा चाहिए। अगर जीवन में बदलाव करने का संकल्प ले लिया तो जन्माष्टमी मनाना सफल होगा। साध्वी सुविधि ने कहा हारने के बाद प्रयास नहीं छोडऩे वालों को अंत में साफलता मिल ही जाती है।
मकड़ी बार बार गिरती है और बार बार जाल बुनने का प्रयास करती है। अगर एक बार हार के बाद जाल बुनना बंद करदे तो वह अपने काम में सफल कभी नहीं होगी। लेकिन लगातार कठिनाई आने के बावजूद हार नहीं मानती और अंत में सफल हो जाती है। जब छोटी सी मकड़ी प्रयास के बाद सफल हो सकती है तो मनुष्य कैसे एक बार में हार मान लेता है।
मनुष्य भी अगर हार न माने तो निश्चय ही सफलता मिल जाए। जितना मनुष्य संसार के लिए कोशिश करता है उतना ही धर्म के लिए भी करना चाहिए। संसार कहता है करो या मरो लेकिन धर्म कहता है मरने से पहले करलो। चिता जलने से पहले मनुष्य को चेतना जगा लेनी चाहिए। सांस थमने से पहले धर्म की राह अपना लेनी चाहिए।
बुद्धि बिगडऩे से पहले बोध पा लेना चाहिए। संसार मे किया गया प्रयास यहीं रह जाएगा लेकिन धर्म में किया गया प्रयास जन्मों तक साथ देगा। इन बातों को जानने के बाद भी मनुष्य धर्म कार्य में एक बार विफल होने के बाद कोशिश बंद कर देते है लेकिन याद रहे सांसारिक जीवन का कोशिश काम दे या न दे, धर्म के लिए किया हुआ प्रयास जरूर सफल होगा।
जन्मास्टमी पर कृष्ण राधा के वेश में बच्चों द्वारा भाषण कला, धर्म हांडी एवं सामूहिक भिक्षु दया का आयोजन किया गया। संघ अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, श्रेणिकराज बोहरा, सुरेश ललवानी, बाबूलाल बोकडिय़ा, उत्तम नाहर, राजेन्द्र डोसी, पदम छाजेड़ समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।