भद्रतप तपस्वियों एवं महोत्सव के लाभार्थियों का हुआ सम्मान
चंद्रप्रभु जैन नया मंदिर ट्रस्ट, किलपॉक श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ सहित छह विभिन्न जैन संघ के संयुक्त तत्वाधान और गच्छाधिपति आचार्यश्री उदयप्रभ सुरीश्वरजी की पावन निश्रा में 100 दिवसीय विराट भद्रतप की पूर्णाहुति के उपलक्ष्य में आयोजित महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को तपस्वियों एवं महोत्सव के लाभार्थियों का बहुमान एटकिंसन रोड़ स्थित गौतमकिरण के प्रांगण में हुआ। भद्रतप की शुरुआत 5 जुलाई को हुई थी। महोत्सव में दोपहर दो बजे गांवसांझी एवं मेहंदी वितरण के कार्यक्रम हुए, जिसमें दो हजार से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया और उनको प्रभावना वितरित की गई। गांवसांझी में ऋषभ बालिका मंडल ने अपनी प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सायंकाल चंद्रप्रभु जैन नया मंदिर में महाआरती एवं प्रभुभक्ति के रंगारंग कार्यक्रम हुए। दक्षिण भारत के इतिहास में पहली बार आयोजित हुए इस विराट भद्रतप की पूर्णाहुति में 211 तपस्वियों ने भाग लिया।
इस आराधना में 16 वर्ष से 80 वर्ष तक की आयु के आराधक जुड़े, जिनमें कुछ आराधकों ने पारणा में पांच द्रव्य से ज्यादा का उपयोग नहीं किया। एक आराधक ने यह उग्र तप करते हुए स्वयं के सहित 100 से अधिक जनों का केसलोचन किया। कुछ आराधक उत्तर पारणा से प्रेरित होकर इस तप से जुड़े, तो एक आराधक 27वां उपवास करते हुए आगे इस तप से जुड़ा। चेन्नई से बाहर गांव के भी कई आराधक इस तप से जुड़े। एक तपस्यार्थी ने 8 माह से आयंबिल तप करके उसके ऊपर इस भद्रतप से जुड़ा, तो एक दिव्यांग महिला आराधक ने इस उग्र तप की पूर्णाहुति की। जन्म से जैन न होते हुए भी तिरुमंगलम भाई ने भी इस तप की सफलतापूर्वक आराधना की। इस भद्रतप में कई जोड़े, जैसे सास- बहू, पति- पत्नी, तीन-तीन सगी बहनें, पिता- पुत्र आदि ने भी सफलतापूर्वक तप को पूर्ण किया। एक उग्र तपस्वी ने तो 100 में से 91 दिन उपवास करके और चावल के एक दाने से पारणा करके इस तप को पूर्ण किया।
कार्यक्रम में भद्रतप के सामूहिक पारणा, सामूहिक पचक्खाण, गांवसांझी, बियासना, जयजिनेंद्र, नवकारसी, बहुमान एवं अन्य विशिष्ट चढ़ावों के लाभार्थियों का बहुमान किया गया। इस दौरान ‘द किंगडम ऑफ़ नॉलेज’ नामक द्विमासिक पत्रिका का विमोचन आयोजक संघों के ट्रस्टियों ने किया।
आचार्यश्री उदयप्रभ सुरीश्वरजी ने इस मौके पर कहा कि नई ऊर्जा नई चेतना पैदा करती है। भद्रतप की शुरुआत के समय कई आराधकों ने कुछ दिन अप्रूवल में रखा, लेकिन जब समूह में जुड़ गए तो सब साथ में आगे पहुंच गए। उन्होंने कहा आराधना व साधना का प्रभाव इतना होता है की लंबी और बड़ी बीमारियां भी खत्म हो जाती है। उन्होंने भद्रतप के लिए सहयोग देने वाले परिवारजनों एवं आयोजक संघों की अनुमोदना करते हुए कहा कि कोई भी शुभ काम करो, सबका पुण्य काम करता है। उन्होंने कहा भद्रतप तो आपने सफलतापूर्वक किया है, अब स्वभाव को भी ‘भद्र’ बनाना है।
‘भद्र’ स्वभाव यानी अपने कोई पाप को छुपाना नहीं। सौ दिन लगातार ‘भद्र’ स्वभाव को टिकाना मुश्किल है, लेकिन आपको भद्रतप से प्रेरणा लेकर यह करना है। आचार्यश्री युगोदयप्रभ सुरीश्वरजी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि परमात्मा की कृपा से आराधना- साधना का वातावरण बनता है। उनकी वाणी का प्रभाव हमारे हृदय में प्रकट होता है। उन्होंने कहा हमें बाह्य तप के साथ आभ्यंतर तप की साधना भी करनी चाहिए। कार्यक्रम की व्यवस्था में तमिलनाड जैन महामंडल व सिवांची युवा मंडल ने सहयोग प्रदान किया। सुप्रसिद्ध संगीतकार शिवमसिंह, जैनम वारिया, उमंग भावसार और धीरज निब्जिया ने संगीत की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। मंच संचालन विपिन सतावत ने किया।
आज होगा तपस्वियों का विराट वरघोड़ा एवं पारणोत्सव का आयोजन
किलपॉक जैन संघ के सचिव नरेंद्र श्रीश्रीमाल ने बताया कि रविवार को प्रातः 6.30 बजे केएलपी अभिनंदन अपार्टमेंट से भद्रतप के तपस्वियों का विराट वरघोड़ा निकाला जाएगा, जो गौतम किरण के प्रांगण में पहुंचेगा। वहां प्रातः 9 बजे तपस्वियों का राजशाही पारणोत्सव आयोजित होगा। उन्होंने सबसे व्यवस्था में सहयोग देने की अपील की।