*🌧️विंशत्यधिकं शतम्*
*📚📚📚श्रुतप्रसादम्🌧️*
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6️⃣3️⃣
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किसी जीव पर
प्रहार करना अर्थात
स्वयं पर प्रहार करने जैसा है
जीवदया अपनी ही दया हैं.!
🛑
नेत्र रोग,अंधापन
विकृत देह,भीभत्स रूप
संपत्ति की
निर्धनता आदि
प्रतिकूलता से भरी जिंदगी
जीवहिंसा का ही परिणाम है.!
🌻
अतः
हिंसा का
परित्याग करो.!
*📗श्रीसार समुच्चय कुलक*
🌷
*तत्त्वचिंतन:*
*मार्गस्थ कृपानिधि*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर