Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

किसी जीव पर प्रहार करना अर्थात स्वयं पर प्रहार करने जैसा है जीवदया अपनी ही दया हैं.

किसी जीव पर  प्रहार करना अर्थात  स्वयं पर प्रहार करने जैसा है  जीवदया अपनी ही दया हैं.

*🌧️विंशत्यधिकं शतम्*

*📚📚📚श्रुतप्रसादम्🌧️*

🌧️

6️⃣3️⃣

🪔

किसी जीव पर

प्रहार करना अर्थात

स्वयं पर प्रहार करने जैसा है

जीवदया अपनी ही दया हैं.!

🛑

नेत्र रोग,अंधापन

विकृत देह,भीभत्स रूप

संपत्ति की

निर्धनता आदि

प्रतिकूलता से भरी जिंदगी

जीवहिंसा का ही परिणाम है.!

🌻

अतः

हिंसा का

परित्याग करो.!

*📗श्रीसार समुच्चय कुलक*

 

🌷

*तत्त्वचिंतन:*

*मार्गस्थ कृपानिधि*

*सूरि जयन्तसेन चरण रज*

मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.

 

*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*

श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ

@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर

 

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar