बेंगलुरु। आठ दिवसीय पर्युषण पर्व के तहत चल रही है आराधना में जैन समाजजनों द्वारा आठ दिवसीय पर्युषण पर्व की आराधना की जा रही है। इसके पांचवें दिन भगवान महावीर स्वामी का जन्मवाचन समारोह मनाया जाएगा। मंदिरों में सुबह से ही पूजा-अर्चना का दौर आरंभ होगा। आकर्षण सजावट के साथ ही मंदिरों में भगवानजी की प्रतिमा की मनमोहक अंगरचना की जाएगी।
गुरुवार सुबह अक्कीपेट नाहर आराधना भवन में आचार्य श्रीदेवेंद्रसागरसूरीजी की निश्रा में कल्पसूत्र ग्रंथ का वाचन आरंभ किया गया। इसके पूर्व समाजजनों ने ग्रंथ की भावपूर्वक पूजा-अर्चना की। बड़ी संख्या में पुरुष एवं महिलाएं मंदिर आए तथा निराहर उपवास व्रत कर कल्पसूत्र का श्रवण किया। आचार्यश्री ने कल्पसूत्र शास्त्र का वर्णन करते हुए कहा कि इसका एक-एक अक्षर पवित्र है।
उन्होंने कहा कि इस शास्त्र में हमारे आराधक 24 तीर्थंकरों के जीवन से जुड़ी परिचय व घटनाएं सम्मिलित हैं। हिंदू धर्म में जो महत्व गीता व रामायण का है, इस्लाम धर्म में जो महत्ता कुरान की है, ईसाई जगत में जो इज्जत बाईबल व सिक्ख समुदाय में जो गौरव गुरुग्रंथ साहिब का है। वहीं महत्व, मान सम्मान व गौरव जैन धर्म में महानग्रंथ कल्पसूत्र का है।
वर्तमान कलयुग व विषमकाल में परमात्मा द्वारा बताया गया ज्ञान ही जीवन की शुद्धि, विशुद्धि व परम शुद्धि का आधार बन सकता है। कल्पसूत्र में इस संसार का समग्र ज्ञान, विज्ञान व निदान समाहित है। आचार्यश्री ने आगे कहा, साधु-संतों व संसारी प्राणी के आचरण का संपूर्ण मार्गदर्शन इस ग्रंथ में समाहित है।
इसी आचार के अनुरूप हमारे विचार बनते हैं। विचार व आचार दोनों परस्पर सापेक्ष गुण है। कल्पसूत्र ऐसी आलौकिक औषधि व रामबाण रसायन है जिसमें जीवन के राग-द्वेष व तन के रोग-दोष को नेस्तनाबूत करने की असीम शक्ति समाहित है।