चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा आज का दिन कृष्ण भगवान का जन्म दिवस है। वैसे तो साल मेें 24 अष्टमी आती है परन्तु कृष्ण पक्ष की 12 अष्टमी होती हैं। जैसे ही भादों की अष्टमी आती है सभी को कृष्ण की याद दिलाती है।
जिस तिथि को महान पुरुषों का जन्म होता है वह तिथि महान हो जाती है। चाहे वह राम नवमी हो या अष्टमी हो लेकिन महापुरुषों के जन्म होने से वह तिथि भी महान हो जाती है। इसलिए भादो की जब अष्टमी आती है तो अंधकार रूपी जीवन में प्रकाश का उदय होने लगता है। ऐसे पल आने पर हमें भी अपने जीवन में कुछ अलग करने का संकल्प लेना चाहिए।
उन्होंने कहा चक्रवती पुरुष संसार के भोगों का त्याग कर मोक्ष के अधिकारी हो जाते हैं। कृष्ण भगवान ने दुनिया को कर्म कर फल की इच्छा नहीं करने का मार्ग बतलाया। यदि मनुष्य बिना फल की इच्छा के कर्म करता जाए तो उसको मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
निस्वार्थ भाव से किया हुआ कर्म फल जरूर देता है। गीता में कर्म करो फल की इच्छा न करो का वर्णन है। कृष्ण भगवान ने कर्म बंध का सिद्धांत अपनाया था और वही दूसरों को भी करने की सलाह दी है। लेकिन वर्तमान में लोग अपने अहंकार में फंस कर इन मार्गो का अनुसरण नहीं कर रहे हैं।
याद रहे मथुरा नगरी में कंश का राज था। कंस बहुत अहंकारी था लेकिन अंत में भगवान ने उसके अहंकार को नष्ट कर दिया। जब राजा कंस का अहंकार नहीं बचा तो मनुष्य का कैसे बचेगा। जीवन का कल्याण सोचने से नहीं बल्कि संकल्प लेकर अनुसरण करने से होगा।