कोलकाता. कट्टरता क्रूरता की जननी है इससे स्वयं के सद्गुण नष्ट हो जाते हैं। वात्सल्य प्रेम सद्भाव का झरना सूख जाता है। कट्टरता अपने आप में अधर्म और पाप है।
विश्व का कोई भी धर्म कट्टरता अपनाने की इजाजत नहीं देता। उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि जाति, पंथ, प्रांत, भाषा, के नाम पर संकीर्ण विचारों की कट्टरता से अलगाववाद पैदा होता है। मानवीय रिश्तों में जहर घुल जाता है।
मुनि कमलेश ने कहा कि कट्टरता की दुर्भावना अणु बम, परमाणु बम से भी खतरनाक है। कट्टरता अपनाने वाला मानवता के टुकड़े-टुकड़े कर देता है। कट्टरपंथी विचारधारा वाले चाहे संत भी क्यों ना हो वह अलकायदा तालिबान से कम नहीं है।
विश्व बंधुत्व की भावना अपने दिलों में साकार करने वाला ही सच्चा धार्मिक है। कट्टरता में अंधे बने हुए कण-कण में बिखर गए हैं। वह धर्म द्रोही भी है और उनकी कट्टरता के विकार के कारण देश कमजोर होता है। वह देशद्रोही भी है।
यह उनका अक्षम्य अपराध है। विश्व के सभी महापुरुषों ने कट्टरता की दीवारों को ध्वस्त करके संपूर्ण मानव जाति एक समान का नारा दिया। जैन संत ने कहा कि समय की मांग है मतभेदों को भूलकर मानवीय रिश्तो को मजबूत करके कट्टरपंथियों के खिलाफ मोर्चा खोलें, एकता और अखंडता के दीप जलाएं, यही आजादी के दिन हम सभी को मिलकर संकल्प लेना है, कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया।
घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए। तारा बहन मेहता, अपूर्व मेहता ने गुरु भक्ति का गीत प्रस्तुत किया। कोमल सिंह मेहता को अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच, नई दिल्ली, राजस्थान शाखा के संयोजक नियुक्त किए गए। श्रावक संघ की ओर से आत्मीय स्वागत किया। स्वाधीनता दिवस पर महावीर सदन पर तिरंगा ध्वज लहरा कर राष्ट्र के प्रति कृतज्ञता गठित की जाएगी।