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एक सद् गृहस्थ श्रावक को अचौर्य अणुव्रत का पालन करना चाहिए  

एक सद् गृहस्थ श्रावक को अचौर्य अणुव्रत का पालन करना चाहिए  

चेन्नई. प्रभु महावीर से प्रश्न किया गया भगवन! व्यक्ति चोरी किस कारण से करता हैं? भगवान महावीर ने फरमाया- व्यक्ति चोरी जैसा दुष्कर्म ‘लोभ’ के कारण करता है। ये जरूरी नहीं कि गरीब आदमी ही चोर होता है। बड़े- संपन्न घरों के लडक़े भी आज के नए जमाने में टेक्नोलॉजी के माध्यम से ऐसी ऐसी चोरी करते हैं कि- सामने वाले पूरा बैंक खाता खाली हो जाता है और उसे पता नहीं चलता। भले ही टैक्स की चोरी हो या ब्याजखोरी, कहीं न कहीं यह भी एक प्रकार से समाज देश व राष्ट्र की चोरी में दी शामिल है। यह विचार ओजस्वी वक्ता डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में प्रवचन सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा यह एक वृक्ष के समान है,, जिस पर इस लोक की अपेक्षा से वध-बंधन आदि के फल लगते हैं और परलोक में नरक, निगोद व तिर्यंच आदि अशुभ गतियों की यातना भोगनी पड़ती है। नीतिकारों ने तो यहां तक कहा है कि- यदि किसी की हत्या हो जाए तो उसे एक बार ही दुख होता है परंतु चोरी का कर्म तो ऐसा है कि जब-जब व्यक्ति याद करता है तब-तब वह मन में पीड़ा अनुभव करता है। दूसरी ओर शास्त्रकार कहते हैं जो चोरी करता है उसे भी शांति कहा?। हर समय बेचैनी का कांटा उसे चुभता रहता है। हर पल उसे डर बना रहता है कि- कही मेरी पोल न खुल जाए, कहीं मैं पकड़ा न जाऊं।

आज हर दुकान पर मॉल में ये जो सी. सी. टीवी कैमरे लगाए जाते हैं वो किस कारण? मानव मूल्यों का दिन-प्रतिदिन पतन होता जा रहा है, दिन-दिहाड़े ऐसी घटनाएं प्रतिदिन समाचार पत्रों में पढऩे को मिलती हैं। गुरुदेव ने बताया एक सच्चे सद्गृहस्थ को चोरी का सामान खरीदना, सरकार द्वारा बैन किए व्यापार को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में करना, कम तोल- माप करना अथवा मिलावट करना नहीं चाहिए। कारण कि – यह सब कार्य चोरी में आते हैं। यह भी ध्यान रखें- चोरी की कमाई में परिवार, मित्र रिश्तेदार, हिस्सेदार बन जाएंगे पर चोरी की सजा तो आपको ही इस जन्म या अगले जन्म में भोगनी पड़ेगी।

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