विजयनगर स्थानक भवन में विराजित साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी म सा आदि ठाना 5 के सानिध्य में ता 30ऑक्टोम्बर से 6 नवम्बर तक मनाये जा रहे दिवाकर सप्ताह के तहत गुरुशब्द संगीत व जैन दिवाकर ज्योतिषाचार्य उपाध्याय श्री कस्तूरचंद जी म सा की जन्मजयंती गुरु के जाप व सामायिक से मनाई।
साध्वी श्री प्रेक्षाश्रीजी म सा ने जीवन परिचय कराते हुए बताया कि ज्येष्ठ कृष्णा तेरस को वी०स० 1948 की मंगलवेला में जावरा निवासी श्री रतीचंद जी व धर्मपत्नी फूलाबाई की कुक्षी से बालक कस्तूरचंद ने जन्म लिया।बाल्य अवस्था मे ही कस्तूरचंद को संस्कार विरासत में मिले। 1962 में गुरुदेव श्री नंदलाल जी के करकमलों से रामपुरा मध्यप्रदेश में दीक्षा ग्रहण की। आपने 95 वर्ष की उम्र में से 85 वर्ष की महासंयम यात्रा तय की।
आपके भारत वर्ष के कौने कौने में चातुर्मास के साथ पाकिस्तान के रावलपिंडी में भी आपका यादगार चातुर्मास संम्पन्न हुआ। आप निर्मल हृदयी, संयमी, सोम्य व करुणा के सागर थे। आप ज्योतिष में इतने निपुण थे कि आपकी भविष्य वाणीयों से लोग स्तब्ध रह जाते। तीन काल का आपको ज्ञान था। साध्वी प्रतिभाश्री जी ने कहा ऐसे महापुरुष के चरित्र के गुण स्मरण करके मात्र से वातावरण शुद्व होकर भव सुधर जाता है।
आज तिंडिवरम से खाब्या परिवार, हैदराबाद से श्रद्धालु दर्शनार्थ पधारकर दर्शन , प्रवचन का लाभ लिया एवं मुनिरेड्डीपाल्या से संघ के सदस्यों ने म सा की शकेकाल पधारने की विनती की। संघ के मंत्री ने सभी का हार्दिक अभिवादन किया। कल जैन दिवाकर पूज्य चौथमल जी म सा की जन्मजयंती तथा 8 ता को कृतज्ञता दिवस एवं वीर लोकाशाह जयंती मनाने की रूपरेखा रखी। कल पूर्व में विमोचन कई गई पुस्तिका 200 प्रश्नों की ज्ञानार्जन अंताक्षरी प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा तथा 80 विजेताओं को रजत सिक्कों से सम्मानित किया जाएगा।