Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

आध्यात्मिक संस्कारकों से जीवन बनता उच्च : जिनमणिप्रभसुरीश्वर

आध्यात्मिक संस्कारकों से जीवन बनता उच्च : जिनमणिप्रभसुरीश्वर

★ श्री सिवाणची जैन भवन में रहा एक दिवसीय प्रवास

★ रविपुष्य नक्षत्र पर अनेकों संघों ने किये संघबद्ध दर्शन

 परम पूज्य खतरगच्छाधिपती आचार्य श्री जिनमणिप्रभसुरीश्वरजी मा सा आदि ठाणा एवम साध्वीवृंद का बाजते गाजते श्री सिवांची जैन भवन, साहुकारपेट में पगलिया एवम प्रवचन सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ।

◆ वर्तों के पालन से व्यक्ति सादगी भरा जीवन जीता

 धर्मपरिषद् को सम्बोधित करते हुए सिवाणची गौरव आचार्य प्रवर ने कहा कि जीवन के सम्यक् निर्माण के लिए सम्यक् संस्कारों का होना जरूरी है। जैन धर्म संस्कारवान धर्म है। भगवान महावीर ने साधु साध्वीयों के साथ श्रावक श्राविकाओं को संयमित होने के लिए बारह वर्तों का पालन करने की प्रेरणा दी। वर्तो के पालन से व्यक्ति सादगी भरा जीवन जीता है। गुरु भगवंत आपको समय समय पर प्ररेणा देते है कि आप जैनत्व के संस्कारों से परिपूर्ण बने।

◆ बच्चों को जैनत्व संस्कारों के साथ करवायें स्कूली शिक्षा

 विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए गुरुवर ने कहा कि जैन समाज द्वारा सामाजिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर अनेकों शिक्षण संस्थानों का संचालन होता है। हमारा दायित्व बनता है कि भावी पीढ़ी में संस्कारों के बीजारोपण के लिए अभिभावक अपने बच्चों को उन विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाये। विद्यालय मैनेजमेंट भी जैनत्व के संस्कारों को पृष्ठ करने वाले पाठ्यक्रमों का अध्ययन छात्र छात्राओं को करवायें। हमारा मूल मंत्र नमस्कार महामंत्र, अरिहंत देव और आचार्यों के बारे में जानकारी देते हुए, उनमें सादगी, समता, सहआस्तित्व, संयम के संस्कारों से परिपूर्ण करें। स्वावलंबी, अभयी बनाये। अभयदान के महत्व को समझाये। ध्यान, आसन्न इत्यादि प्रायोगिक प्रयोग भी करवायें।

◆ सामाजिक रीति रिवाजों में हो जैनत्व की झलक

 आचार्य श्री ने कहा कि हमारे सामाजिक रीति रिवाजों में भी जैनत्व की झलक हो। शादी विवाहों से अनावश्यक आडम्बरों से दूर रहे। पर्दाथों की सीमा करे। रात्रिभोज, जमीकंद का प्रयोग नहीं करे।

◆ जीवन के निर्माण की पगडंडी है- संस्कार निर्माण।

परम पूज्य आचार्य श्री ने समाज में पनप रही सामाजिक विषमताओं को मिटाने के लिए विशेष प्रकाश डाला।

आपने कहा कि समाज को स्वच्छ और साफ रखना एक संस्कार है। विषमताओं को मार भगाने के लिए सिवांची समाज को संगठन बनाकर इस प्रकार की बुराइयों से लड़ना होगा। आध्यात्मिक संस्कार का होना बहुत जरूरी है, साथ में उच्च सामाजिक संस्कार का निर्माण भी जरूरी है। हमे जीवन को सफल बनाना है। जीवन निर्माण की पगडंडी को पावन रखने का रास्ता है- संस्कार निर्माण। हमारे हर कार्यों में संस्कारों को पुष्ट करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।

◆ रविपुष्य नक्षत्र पर अनेकों संघों ने किये संघबद्ध दर्शन

 रविपुष्य नक्षत्र में आचार्य प्रवर के सान्निध्य में अकोला जैन संघ, आगोलाई जय संघ एवं मालेगांव जैन समाज से श्रावक श्राविकाएं संघ बद्ध पधारे थे।

◆ अकोला को प्रदान किया प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त

 श्री सिवांची जैन भवन का सौभाग्य ये रहा कि विशाल जन भेदिनी मध्य अकोला शहर के लिए प्राण प्रतिष्ठा के हेतु आचार्य प्रवर के मुखारबिंद से जयकार हुआ। अकोला जैन संघ का यहां आना श्रेयष्कर सार्थक रहा।

पूज्य चारित्रिक आत्माओं का पुन: प्रस्थान जैन दादावादी में हुआ। श्री सिवांची जैन संघ द्वारा अतिथि महानुभावों, मुख्याओ का अभिनंदन भीं किया गया। स्वागत स्वर श्री सिवांची मद्रास जैन संघ के अध्यक्ष श्री जयन्तीलाल बागरेचा ने दिया। श्री सिवांची जैन युवा मंडल और श्री सिवांची जैन महिला मंडल की और से मधुर वाणी में स्वागत गीत पेश किया गए। पुज्यप्रवर के सान्निध्य का लाभ उठाने के लिए सैकड़ों संघ सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज करवाई। पूज्य आचार्यवर एवम सहवर्तिनी साधु साध्वीवृंद ने महत्ती कृपा कर जैन दादावाड़ी से साहुकारपेट स्थित श्री सिवांची जैन भवन में पधारने पर कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम आयोजन में पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी समिति सदस्यों का सराहनीय सहयोग रहा।

समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar