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आध्यात्मिक विकास से राष्ट्र उत्थान सम्भव – राज्यपाल

आध्यात्मिक विकास से राष्ट्र उत्थान सम्भव – राज्यपाल

राजभवन में मनाया गया जैनाचार्य श्री तुलसी का 109वॉ जन्मोत्सव

व्यापक और विराट व्यक्तित्व के धनी थे आचार्य तुलसी : मुनि सुधाकर

राजभवन, चेन्नई; जैनाचार्य श्री तुलसी के 109वें जन्मोत्सव का कार्यक्रम तमिलनाडु राजभवन के दरबार हॉल में महामहिम राज्यपाल श्री आर एन रवि एवं आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर, मुनि श्री नरेशकुमार के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट एवं राजभवन की आयोजना में आयोजित हुआ।

 महामहिम राज्यपाल श्री आर एन रवि ने कहा कि भारत एक अनोखा, अनूठा, विशेष देश है। जहां विश्व के अन्य देश बाहुबल, हिंसा, ताकत से बने। वहीं भारत का निर्माण ऋषि-मुनियों की त्याग, तपस्या, साधना से अध्यात्म भरी सभ्यता, संस्कृति से बना है। हजारों सालों पुरानी इस सभ्यता की विकास यात्रा उतार चढ़ाव भरी रही। जब-जब समाज में विकृतियां आई, तब-तब युग पुरुष, विशिष्ट विभुतियों ने जन्म लिया और फैली कुरीतियों को मिटा कर समाज में सामजस्य बैठाया।

 आपने कहा कि जब यज्ञ में पशु बलि आदि का ज्यादा प्रयोग होने लगा तब कृष्ण ने अपने गुरु जैन तीर्थंकर भगवान अरिष्टनेमि से प्रेरित हो संदेश दिया कि बलि की अपेक्षा अपने आप को मानव सेवा के लिए समर्पित करना, सबसे बड़ी सेवा होगी, आराधना होगी।

 आपने अंग्रेजी शिक्षा से फैली भ्रांति के बारे में बताते हुए कहा कि भारत देश धर्म निरपेक्ष नहीं, अपितु पंथ निरपेक्ष देश है। भारत एक परिवार है, तो धर्म उनके सदस्य हैं और धार्मिक संस्कृतियों की बदौलत ही भारत में अभी भी आध्यात्मिकता का समावेश है।

 अणुव्रत व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहयोगी

 अंग्रेजों ने जहां भारत का आर्थिक ह्रास तो किया ही, साथ में सांस्कृतिक और अध्यात्म पर भी प्रहार किया। स्वत्रंत भारत के विघटन से फैली आराजकता को मिटाने के लिए जैनाचार्य श्री तुलसी ने छोटे-छोटे नियमों को जोड़, व्यक्तित्व निर्माण के लिए अणुव्रत का सूत्रपात किया। अणुव्रत के नियमों को अपना, व्यक्ति अपना चरित्र निर्माण कर सकता है और चरित्रवान व्यक्तियों के समूह से ही एक स्वच्छ भारत का निर्माण हो सकता है।

 राज्यपाल महोदय ने एक राष्ट्रीय संत तुलसी का जन्मदिन यहां मनाने के लिए मुनिश्री और जैन समाज को धन्यवाद दिया। आपने विशेष रूप से कहा कि मुनि श्री आपके लिए सदैव राजभवन के द्वार खुले है, आप और भी कभी पधारे एवं हमें भी अध्यात्म का पाठ पढ़ायें।

  व्यापक और विराट व्यक्तित्व के धनी – आचार्य तुलसी

 मुनि श्री सुधाकरजी ने अपने आराध्य की आराधना में कहा कि आचार्य श्री तुलसी एक व्यक्ति ही नहीं, विचारधारा थे। वे व्यापक और विराट व्यक्तित्व के धनी थे। मुनि श्री ने आचार्य तुलसी के भारत की एकता और सौहार्द के लिए किये कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि 1985 का राजीव-लोंगेवाला समझोता, 1994 के संसद गतिरोध को खत्म करने में आपका विशेष योगदान रहा। आपने राजनैताओं को बुलाया और समझा कर कहा कि दल से पहले हमारी देश के प्रति नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। तुलसी ने स्वतंत्रता में स्वच्छंदता को रोकने के लिए निज पर शासन, फिर अनुशासन का नारा दिया। मानव, मानव में भेद रेखा को मिटाने के लिए इंसान पहले इंसान, फिर हिन्दू या मुसलमान का संदेश दे, मानव मन में आत्मजागृति फैलाई। आचार्य तुलसी ने अपने जीवन में आये अनेकों विरोध में भी विनोद समझ कर आगे बढ़ते गये। मुनि श्री ने राज्यपाल महोदय की विनम्रता, सरलता, सह्रदयता की सराहना करते हुए आज के कार्यक्रम को राजभवन में करवाने के लिए साधुवाद दिया। आपने राज्यपाल के मुख्य सचिव भारतीय प्रशासनिक अधिकारी आनंद राव पाटिल के इस कार्यक्रम की समायोजना में मिली संयोजना की प्रंशसा की।

   राजभवन बना लोकभवन

 राज्यपाल के मुख्य सचिव भारतीय प्रशासनिक अधिकारी आनंद राव पाटिल ने राजभवन को लोकभवन के रूप में बताया और कहा कि यहां बहुत सामाजिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक कार्यों का आयोजन किया जा रहा है। राज्यपाल ने अनेकों ऐतिहासिक महत्व के कार्यक्रम एवं कार्यकर्ताओं को राजभवन में बुलाना एवं कार्यक्रम किये, उन्हें प्रोत्साहित किया। कई बार विद्यार्थियों को यहां बुलाया जाता है और विश्व में तमिलनाडु और भारत का नाम कैसे रोशन हो, ऐसे कार्यक्रम किये जा रहे हैं। भारत आध्यात्मिकता की शिक्षा देता है। आपने जैन मुनि के चर्या की चर्चा करते हुए सराहना की और सभी के लिए अनुकरणीय बताया। भारत के 1% जैन समाज के लोगों की, की जाने वाले सामाजिक कार्यों की सराहना की।

मुनिश्री नरेशकुमारजी ने “प्रबल भाग्य से तुलसी जैसे गणराज मिले” कविता के साथ अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।

 राष्ट्रीय गान, तमिल गान से प्रारम्भ कार्यक्रम में सामायिक मण्डल की महिलाओं ने अणुव्रत गीत से मंगलाचरण हुआ। श्री ज्ञानचन्द आंचलिया ने स्वागत स्वर प्रस्तुत करते हुए आचार्य श्री तुलसी के अवदानों को बताया। राज्यपाल द्वारा इस कार्यक्रम की समायोजना के लिए साधुवाद दिया। धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती हर्षा परमार ने दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रेक्षिता संकलेचा एवं गायत्री ने किया। राष्ट्रीय गान और मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मीडिया प्रभारी स्वरूप चन्द दाँती ने बताया कि ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा एवं कार्यक्रम संयोजक श्री अशोक परमार की संयोजना में कार्यक्रम सफल रहा।

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