इंदौर। कृष्णागिरी पीठाधिपति यतिवर्य डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने बुधवार को कहा कि जैन धर्म का विशेष पर्यूषण का पावन पर्व कर्मबंधनों से बचने और आत्मा को परमात्मा से जोडऩे, अपने आप का आत्मपरीक्षण करने का संदेश देता है।
यहां श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में हृींकारगिरी तीर्थ धाम में प्रवचन कर रहे डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि मोक्ष के लिए आत्म भाव जरुरी होता है इसके लिए त्याग, तपस्या और संयम जरुरी होता है। उन्होंने कहा कि आराधना, साधना आदि पर्यूषण पर्व में सभी क्रियाएं अच्छे भाव से ही सफल होती है।
यदि श्रद्धालू का आत्मिक पवित्र सही होता है तो निश्चित ही धार्मिक-आध्यात्मिक, साधना, आराधना व भक्ति के सार्थक परिणाम देखने को मिलते हैं। साधना एक तरह से अधिक फलदायी होती है। उन्होंने कहा कि सांसारिक जगत को छोड़ते हुए अपने आप में रमण हो जाएं। इस दौरान पर्यूषण दिल से क्षमापना करने से मुक्ति के द्वार खुलते हैं।
ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि बुधवार सुबह के सत्र में प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पाश्र्वनाथजी की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक आज भी जारी रहा।
ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि चातुर्मास प्रवासित डॉ. वसंतविजयजी म.सा. से दर्शन, प्रवचन व मांगलिक श्रवण का लाभ लेने वालों में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित अनेक राज्यों के श्रद्धालू शामिल थे।