Share This Post

ज्ञान वाणी

आज का पुरुषार्थ ही कालांतर में भाग्य बनता है: कपिल मुनि

आज का पुरुषार्थ ही कालांतर में भाग्य बनता है: कपिल मुनि
चेन्नई : यहाँ मैलापुर में बाजार रोड स्थित जैन स्थानक में   प्रखर वक्ता श्री कपिल मुनिजी म.सा. ने बुधवार को प्रवचन में कहा कि जब तक जीवन है तब तक उसके साथ कर्म लगा रहेगा क्योंकि जीवन एक कृत्य है । कार्य करने वाले की नीयत और प्रकृति उस कार्य को पूजा भी बना सकती है तो अपराध भी । अच्छे कार्य का परिणाम भी सुन्दर होता है।
लाख बाधा आने पर भी व्यक्ति को अच्छे कार्यों  को करते रहना चाहिए ।खास कर धर्म के कार्यों को तिलांजलि देने का पाप तो हर्गिज भी नहीं करना चाहिए । अच्छे कर्म जीवन यात्रा का फासला कम कर देते हैं । जब हमारा जन्म होता है तभी मृत्यु सुनिश्चित हो जाती है । जन्म और मृत्यु के बीच की दूरी को हरेक इन्सान अपने अपने हिसाब से महसूस करता है  धर्म और परोपकार के कार्य  करने वालो के लिए ये दूरी और यात्रा उत्सव बन जाती है मुनि श्री ने आगे कहा कि जीवन में जो कुछ भी उपलब्ध होता है वह याचना से नहीं बल्कि पुरुषार्थ से होता है । आज का किया गया पुरुषार्थ ही कालांतर में भाग्य बन जाता है। इसलिए पुरुषार्थ से बढ़कर कोई देवता नहीं है।
सम्यक दिशा में किया गया पुरुषार्थ ही भविष्य में सौभाग्य का सूरज बनकर उदित होगा ।मुनि श्री ने कहा कि प्रभु के वचनों को श्रद्धा का विषय बनाकर जीवन में सत्कर्म की साधना में प्रबल पुरुषार्थ करना ही अक्लमंदी है । उन्होंने आगे कहा कि अंतर में श्रद्धा का दीप जलना परम दुर्लभ है । वर्तमान दौर में सर्वाधिक क्षति नुकसान व्यक्ति की धर्म के प्रति श्रद्धा का हुआ है ।व्यक्तिगत रूप से यह एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई कर पाना बेहद मुश्किल है । व्यक्ति को ऐसे निमित्तों के संयोग और आदमीयों के संपर्क से बचना चाहिए जो कि श्रद्धा की नुकसान पहुंचाते हों ।श्रद्धालु के जीवन में ही कदम कदम पर चमत्कार होते हैं।
नास्तिक लोगों की जिंदगी में दुर्भाग्य की मनहूस छाया पड़ने के सिवाय कुछ भी नहीं होता । उन्होंने कहा कि आधी अधूरी और बिखरी श्रद्धा कुछ काम की नहीं होती । श्रद्धा शत प्रतिशत होनी चाहिए धर्म,धर्मगुरु और धर्म वाणी के प्रति । उन लोगों की परछाई से भी बचने का प्रयत्न करना चाहिए जो भगवान् के वचनों का मजाक उड़ाते हों और संतों की निंदा विकथा करते हों। श्रद्धा दीये की उस ज्योति की तरह नहीं होनी चाहिए जो फूंक मारने से बुझ जाए श्रद्धा तो जंगल की उस आग जैसी होनी चाहिए जो तूफान चलने पर भी बढती ही चली जाती है । मुनि श्री ने कहा कि दुःख को पचाना आसान है मगर सुख को पचाना बेहद मुश्किल है।
आज समाज में दिखावे की जो होड़ चल रही है उसका मूल कारण यही है कि कुछ अक्ल के अंधे और अभिमान के नशे में चूर व्यक्ति सुख को पचा नहीं पा रहे हैं । समाज में फैलता जा रहा प्रदर्शन का प्रदूषण अनर्थ का मूल है । उन्होंने कहा कि जीवन में प्रत्येक प्रवृत्ति होश और सावधानी पूर्वक की जाए तो कर्म बंधन से बचा जा सकता है । संघ मंत्री विमलचंद खाबिया ने धर्मसभा का संचालन किया । गुरुवार को मुनि श्री का प्रवास वेदान्त देसिकर स्ट्रीट स्थित आलोक गोलेछा के निवास स्थान पर होगा । जहाँ मुनि श्री के सानिध्य में धर्मचर्चा आदि कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे ।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar