साधर्मिक सुहृदयवर, सादर जयजिनेन्द्र।
आचार्य श्री महाश्रमणजी चेन्नै में चातुर्मास परिसम्पन्न कर अपनी धवल सेना के साथ माधावरम के प्रवास स्थल से विहार कर चुके हैं एवं उनके चरण अब तमिलनाडु के अन्य क्षेत्रों का स्पर्श करने हेतु गतिमान है।
पूज्यप्रवर के चेन्नै का चातुर्मास सफलतम ही नहीं ऐतिहासिक भी हुआ, इस हेतु सर्वप्रथम मैं पूज्यप्रवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं। गुरुदेव ने महती कृपा कर चेन्नैवासियों के 50 वर्षों की प्यास को कुछ तृप्त किया, यह उनकी महानता है।
पूज्यप्रवर, साध्वीप्रमुखाश्रीजी एवं समस्त चारित्रात्माएं चेन्नै में सुखसातापूर्वक विराजमान रहे। निर्विघ्न निर्बाध रूप से चातुर्मास सुसम्पन्न हुआ, इसका हम समस्त चेन्नैवासिययों को प्रसन्नता है। *आप सभी का आत्मीय स्नेह, वात्सल्य और समर्पण ने चेन्नै चातुर्मास में चार चांद लगाने का कार्य किया। गुरु के पदार्पण से पूर्व से लेकर विहार तक आप सभी ने जो श्रमसाध्य कार्य किया, उसके लिए मैं हृदय से आप सभी को साधुवाद देता हूं।
व्यवस्था समिति के प्रत्येक विभाग ने डटकर कार्य किया और दायित्व का बखूबी निर्वहन किया, इस हेतु मैं सभी समिति विभागाध्यक्ष, संयोजक एवं इन सभी से जुड़े प्रत्येक सदस्यों को नमन करता हूं। आवास, भोजन, कैन्टीन, परिसर, पण्डाल, स्वयंसेवक, चिकित्सा, भण्डार, सुरक्षा, बिजली, जल, आदि आदि प्रत्येक विभाग ने जिस तरीके से चार महीने सेवाएं प्रदान की, उससे सम्पूर्ण चातुर्मास सुगमता पूर्वक गतिमान रहा। *आप सभी के सहकार एवं सहयोग हेतु मैं अंतर्मन से आप सभी को प्रणाम करता हूं।
चातुर्मास पश्चात् कई सिंघाड़े चेन्नै के आसपास विहरमान है। आप सभी से अनुरोध कि सेवा-चिकित्सा में सहयोग प्रदान कराएं। गुरुदेव के रास्ते की सेवा में भी अवश्य लाभ लें। पूरे तमिलनाडु में जहां जहां भी हो सके, रास्ते की सेवा का लाभ अवश्य लें।
इस चातुर्मास से पूर्व और दौरान जाने-अनजाने में यदि मुझसे कोई गलती या त्रुटि हुई हो, किसी का दिल दुखाया हो तो सरल हृदय से क्षमायाचना करता हूं। आप सभी मेरे स्नेही स्वजन हैं, मुझे अवश्य क्षमा प्रदान करेंगे।
भविष्य में भी आप सभी का स्नेह और वात्सल्य से मैं भावविभोर होता रहूं, यही मंगलकामना।
*धरमचन्द लुंकड़*
_अध्यक्ष – आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नै_