चेन्नई. महानगर में श्री जैन आराधना भवन में चातुर्मासार्थ विराजमान आचार्य तीर्थभद्रसूरीश्वर के सान्निध्य में पिछले कई समय से श्री किलपॉक जैन संघ द्वारा लगातार चल रही आगामी चातुर्मास की विनती को गुरुदेव ने गच्छाधिपतिश्री की आज्ञा से स्वीकृति प्रदान की। विदित है की इस वर्ष भी किलपाक में तीर्थतिलक विजय आदि ठाणा का यशस्वी चातुर्मास चल रहा है।
प्रथम बार से ही श्री किलपॉक जैन संघ का उत्साह और उल्लास सभी के मन को लुभाने वाला था और श्री उत्तराध्ययन सप्ताह के प्रवचनों की भाववाही श्रृंखला के बीच भी वे पधारे। संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र साकरिया ने अपने संघ के लिखे गए पत्र की हमें यह चातुर्मास क्यों चाहिए? प्रेषित किए, आचार्य ने इतने सारे पत्र प्राप्त कर अनुभव किया कि जिज्ञासा कितनी जबरदस्त है और उनके भाव कितने बड़े है। साथ ही “सकल तीर्थ वंदु कर जोड़” की शैली में मनोज राठौड़ द्वारा सभी 34 गुरुभगवन्तों के नाम द्वारा वंदन, सभी के अनुमोदना का केंद्र बना।
जिसके बाद संघ के सचिव नरेन्द्र श्रीश्रीमाल ने कहा कि किलपाक के नूतन उपाश्रय एवं नूतन जिनालय की प्रतिष्ठा आचार्य की निश्रा में हो तो यह संघ का अहोभाग्य होगा। श्रेणिक नाहर एवं शिखरभाई के गीत पर संघ के सभी ने हाथों में अनेक चामर लेकर गुरुभगवंत के समक्ष नृत्य करते हुए संगीतमय विनंती करने लगे। चातुर्मास विनती के लिए ऐसा अनमोल दृश्य का पहली बार हुआ।
जैसे ही आगामी चातुर्मास की घोषणा की गई तुरंत ही संघ के सभी ने सोना-रूपा के फूलों से, मोती से, अक्षत से, रजत से गुरुभगवंत को वधाकर अपने हर्ष की अभिव्यक्ति की। आगामी चातुर्मास को अंजनशलाका चातुर्मास के नाम से ऐतिहासिक रूप में मनाने की संघ ने घोषणा की। समारोह का संचालन संघवी मनोज राठौड़ ने किया।