चेन्नई आज शुक्रवार 18 अक्टूबर 2024 को आचार्यश्री हमीरमल म.सा की पुण्यतिथि सामायिक दिवस के रुप में स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ के तत्वावधान मे मनाई गई |
धर्मसभा में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने पूज्य आचार्यश्री हमीरमलजी म.सा के गुण स्मरण करते हुए कहा कि नागौर में श्री नगराजजी -ज्ञानकुमारीजी गांधी के यहां जन्मे हमीरमलजी के ऊपर से गयारह वर्ष की वय में ही पिताजी का साया उठ गया | अपनी मातुश्री के संग पीपाड़ शहर में ननिहाल में आपका लालन- पालन हुआ |
रत्नवंशीय महासती श्री बरजूजी म.सा का संयोग मिलने पर आपकी मातुश्री को वैराग्य प्राप्त हुआ व आचार्यश्री रतनचंद्रजी म.सा के पास बर के समीप ही बिरांटिया ग्राम में अपने पुत्र हमीरमल को दीक्षित करने के पश्चात आचार्यश्री हस्तीमलजी म.सा की मातुश्री रूपादेवी की तरह आप भी दीक्षित हो गयी | नवदीक्षित हमीरमलजी म.सा के घृत को छोड़कर बाकी चार विगयों का आजीवन त्याग,निरन्तर चार वर्षों तक एकान्तर उपवास की तपस्या,मेवे- मिठाई-फल आदि का त्याग,आजीवन दैनिक रुप से दस द्रव्यों के उपयोग तक की मर्यादा,एक ही चादर का उपयोग आदि अनेक नियमों का पालन करते थे । आपकी योग्यता को देखते हुए आचार्यश्री रतनचंद्रजी म.सा ने उन्हें रत्न संघ की भोलावन दी |
द्वितीय आचार्य गुमानचन्द्रजी म.सा के देवलोकगमन पश्चात रत्नवंश के तृतीय आचार्य के रुप में आपको जोधपुर में आचार्य पद की चादर ओढ़ाई गई | आपने दीक्षा के पश्चात 39 चातुर्मास गुरुदेव की निश्रा में व आचार्य के रुप मे 9 चातुर्मास किये | आपने अनेक ग्रंथो की रचनाएं की आपकी लेखन कला अति सुन्दर थी | आपका चंद्र प्रज्ञप्ति,सूर्य प्रज्ञप्ति, उपदेश रत्नकोष, भगवती हुण्डी,तेरह ढाल आदि अनेक रचनाओं व टीका आदि करते हुए जिनशासन में सुन्दर योगदान रहा | आप शास्त्र लेखन का कार्य करते थे | आपके अनेक ज्ञानी-ध्यानी- तपस्वी संत शिष्य रत्न हुए | नागौर में ही कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा को आपका 21 प्रहर का संथारापूर्वक देवलोकगमन हुआ |
वरिष्ठ स्वाध्यायी बन्धुवर श्री आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने महासती लीलाबाईजी म.सा के प्रवचन ग्रन्थ तेतली पुत्र मे वर्णित तीर्थंकर प्रभु महावीर के गुणगान किये |
धर्मसभा में श्री गौतमचंदजी मुणोत,भाई दीपकजी व योगेशजी श्रीश्रीमाल ने जीवन व जैन संकल्प सूत्र,व्रत-नियम- प्रत्याख्यान कराये | दीपकजी श्रीश्रीमाल ने मांगलिक श्रवण कराई | गुरु वन्दन,तीर्थकरों-आचार्य भगवन्तों, उपाध्यायश्री, भावी आचार्यश्री, साध्वी प्रमुखा समस्त चरित्र आत्माओं की जयजयकार के संग पुण्यतिथि स्वाध्याय दिवस के रुप मे सम्पन्न हुई |