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अहिंसा और जीवदया भाव से आयंबिल की तपस्या आज: आचार्य वर्धमानसागर और विमलसागर

अहिंसा और जीवदया भाव से आयंबिल की तपस्या आज: आचार्य वर्धमानसागर और विमलसागर

चौथे जागरण शिविर में उमड़ी भीड़

चेन्नई. आचार्य वर्धमानसागर और विमलसागर की प्रेरणा से सोमवार को २ हजार साधक अहिंसा और जीवदया की भावना से आयंबिल की तपस्या कर सिर्फ एक बार भोजन करेंगे। जैन परंपरा में आयंबिल की तपस्या अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। कुक्स रोड स्थित एसपीआर सिटी के टाउन में आयंबित तपस्या का आयोजन होगा।

आचार्य विमलसागर ने कहा दूध, दही, घी, तेल, मक्खन, छाछ, मलाई, मसाले, गुड शक्कर, मिठाई, तली हुई चीजें, फल, हरि सब्जी व मुखवास से रहित गर्म पानी पीते हुए दिन में सिफ एक बार लुखा सूखा खाना आयंबिल कहलाता है। यह रस परित्याग और मनोवृत्तियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। करोड़ों जानवरों की कत्ल के सामने अहिंसा और जीवदया का वातावरण बनाने के लिए तप आयोजित किया जा रहा है।

बेमौत मारे जाते जीवों की आत्मशांति और हिंसक लोगों को सद्बुद्धि मिले यही इसका उद्देश्य है। उन्होंने कहा करीब पांच हजार से अधिक लोग एक से अधिक बार आयंबिल के लूखे सूखे से उदरपूर्ति कर विश्वशांति एवं अहिंसा के लिए प्रार्थना करेंगे। ऐसे आयोजन से समाज को नई प्रेरणा मिलेगी। मौज मस्ती करने वाले युवा वर्ग के लोग भी इस बार साधना के पथ पर मुड़ रहे हैं।

चौथे जागरण शिविर में 5500 शिविरार्थियों ने भाग लिया। आचार्य ने धर्म निष्ठा, सामाजिक एकता, कमजोर वर्ग की सहायता और समाज की घटती जनसंख्या प्रवचन दिया। धर्मसभा में सहयोगी परिवार और तीन दिन के उपवासी साधकों का सम्मान किया गया। इस मौके पर बेंगलूरु, मदुरै, तिरुचि, सेलम, वेलूर, कांचीपुरम, नेलूर विजयवाड़ा, समेत अन्य जगहों से श्रद्धालुगण उपस्थित हुए।

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