चेन्नई. अम्बत्तूर जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा हर मानव जीवन में कुछ न कुछ विचार करता ही रहता है। अशुभ भाव जीवन के पतन का कारण बनते हैं।
यदि विचारों के वेग को अशुभ से शुभ की दिशा में मोड़ दिया जाता है तो उस व्यक्ति के जीवन की दशा भी पतन से उत्थान की ओर बढ़ जाती है। इसीलिए कहा जाता है कि दिशा बदलते ही दशा भी बदल जाती है। जिस प्रकार पानी को जिस दिशा में बहाना है उसे उसी दिशा में ले जाया जा सकता है उसी प्रकार मन को भी मोड़ा जा सकता है।
मन में उठने वाले ईष्र्या, द्वेष, लोभ, तृष्णा, काम, क्रोध व माया आदि दुर्विचारों को त्यागकर भगवान का स्मरण किया जाना चाहिए। अशुभ भाव विनाश का कारण हैं जबकि शुभ भावों से विकास होता रहता है।
मन का दमन नहीं बल्कि ऊध्र्वगमन होना चाहिए। मन को जितना ज्यादा रोकने का प्रयास किया जाता है वह उतने ही वेग से उसका विरोध करता है। मानव जिस प्रकार तन की शुद्धि पर बहुत ध्यान देता है उसी प्रकार मन की शुद्धि पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
मुनिगण यहां से प्रस्थान कर पाडी जैन स्थानक पहुंचेंगे।