बेंगलुरु। स्थानीय अक्किपेट जैन मंदिर में पर्युषण पर्व की समाप्ति के पश्चात चैत्य परिपाटी का आयोजन रविवार को किया गया। इस अवसर पर आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी व साध्वीश्री मोक्षज्योतिश्रीजी की उपस्थिति में बेंड बाजों के साथ भव्य शोभा यात्रा का आयोजन हुआ।
तपस्वियों ने भव्य यात्रा में बिना चप्पल के नंगे पैर चलकर चैत्य परिपाटी का निर्वहन किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार शोभायात्रा शहर के मुख्य मार्गो से होकर चिकपेट नगरथपेट, सिमन्धरस्वामी जिन मन्दिरों के दर्शन-वंदन करते हुए अक्कीपेट मंदिर पहुँची ।
यहां आचार्यश्री देवेंद्रसागरजी म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि पर्युषण पर्व पर अपनाए जाने वाले पांच कर्तव्यों का अवश्य पालन करना चाहिए। उन्होंने अमारी प्रवर्तन, साधार्मिक वात्सल्य, क्षमापना, अठ्ठम तप तथा चैत्य परिपाटी के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि जब भक्त और भगवान के बीच में कोर्इ तीसरा नहीं आता है तब भक्ति में मीठास आ जाती है और जीवन मीठा हो जाता है। चैत्य परिपाटी के अवसर पर वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर के प्रांगण में सकल श्री संघ की ओर से पूरे जैन समाज के लिए स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया गया।