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ज्ञान वाणी

हृदय से की गई स्तुति का फल अवर्णनीय: कपिल मुनि

हृदय से की गई स्तुति का फल अवर्णनीय: कपिल मुनि

चेन्नई. गोपालपुरम में लॉयड्स रोड स्थित छाजेड़ भवन में चातुर्मासार्थ विराजित कपिल मुनि के सान्निध्य व श्री जैन संघ, गोपालपुरम के तत्वावधान में रविवार को सवेरे  9 .00 बजे से 10.30 बजे तक ध्यान साधना सत्र और सर्व सिद्धि प्रदायक, विघ्न बाधा विनाशक श्री वज्रपंजर (आत्म रक्षाकर) स्तोत्र जप अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मुनि के निर्देशन में विशेष विधि के तहत ध्यान साधना और जप आराधना करेंगे।

कपिल मुनि ने इस स्तोत्र की महिमा बताते हुए कहा कि पञ्च परमेष्ठी देव असीम शक्ति के पुंज हैं। उनकी स्तुति और भक्ति से पाप रूपी अन्धकार का नाश होता है और आत्मा के मौलिक गुणों का प्रकटीकरण होता है। आत्मोत्कर्ष के लिए जितनी भी साधनाएं हैं, प्राय: उन सब में मंत्र, स्तोत्र, छंद आदि जप का समावेश किसी न किसी रूप में अवश्य होता है क्योंकि मंत्र विद्या मनुष्य के अंतरंग में सोई उन शक्तियों और क्षमताओं को जाग्रत करती है जो उसे उच्च आध्यात्मिक लक्ष्य तक पहुंचाती हैं।

आत्म रक्षाकर स्तोत्र की साधना एक ऐसी साधना है जो अपने आप में सर्वांगपूर्ण है। अत्यंत प्रबल पुण्य के प्रभाव से ही व्यक्ति के मन में श्रद्धा का जन्म होता है। श्रद्धा भक्तिपूर्ण हृदय से की गई स्तुति का फल अवर्णनीय होता है। उन्होंने कहा कि इस जाप के प्रभाव से जीवन में अनिष्ट और अशुभ की सारी संभावनाएं क्षीण हो जाती है और जीवन में जितने भी शुभ और श्रेष्ठ हैं वे साकार होते हैं।

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