चेन्नई. आचार्य विमलसागर सूरी ने कहा कि यह अफसोसजनक है कि हिंदू एवं जैन समाज को अपने गौरवशाली इतिहास का ज्ञान नहीं है। राजनेताओं, अभिनेताओं एवं खिलाडिय़ों के बारे में आधुनिक समाज जितना मानता एवं जानता है अथवा जितना उनसे प्रभावित है उसका अंश भर भी वह अपने धर्मगुरुओं, समाजनायकों, बलिदानियों के बारे में नहीं जानता है और न ही उसके प्रति गौरव की अनुभूति करता है।
ऐसा लगता है जैसे आधुनिक अपने पूर्वजों के गौरवशाली भूतकाल से टूट चुका है। वर्तमान में बदलते प्रवाह व प्रभाव में वह बह गया है। जिन्होंने हमारे लिए पूरी जिन्दगी न्यौछावर कर दी, उनको हम याद तक नहीं करते।
जैनाचार्य ने कहा कि सिर्फ अच्छा खाने-पीने, पहनने, घूमने या ऐशो आराम करने से इतिहास नहीं बनते, इतिहास के लिए तो लग्जरी छोडऩी पड़ती है। बलिदान देने पड़ते हैं। ज्ञान के प्रति अहोभाव लाए बिना और ज्ञान बांटे बिना भारतीय समाज का कल्याण नहीं होगा।