Share This Post

ज्ञान वाणी

हर समय व्यस्त और हर हाल में मस्त रहें – डाॅ.मुनि षांतिप्रिय सागर

हर समय व्यस्त और हर हाल में मस्त रहें – डाॅ.मुनि षांतिप्रिय सागर
मुंबई: डा मुनि षांतिप्रिस सागर सागर महाराज ने कहा कि चिंता समस्याओं का समाधान नहीं, वरन् खुद सबसे बड़ी समस्या है। चिंता न केवल बीमार करती है, वरन् सौ अन्य रोगों को भी पैदा कर देती है। चिंता तो चिता से भी बदतर है, क्योंकि चिता को इंसान को एक बार वह भी मरने के बाद जलाती है, पर चिंता इंसान को पल-प्रतिपल जलाती रहती है। व्यक्ति चिंता की बजाय चिंतन करे और हर परिस्थिति का आनंद उठाए। उन्होंने कहा कि जीवन में न तो सम्पन्नता सदा शाश्वत रहती न ही सुंदरता। यहाँ अमीर गरीब हो जाते हैं और गरीब अमीर बन जाते हैं। रूप ढल जाता है और पद एक दिन छूट जाता है। इसलिए जीवन में कुछ मिल जाए तो गुमान न करें और चला जाए तो गिला न करें।
मुनिश्री रविवार को मां मांगल्य भवन, योगी नगर सर्कल के पास, मेटरो ब्रिज पिल्लर 195 के सामने, लिंक रोड़, बोरीवली वेस्ट में आयोजित सत्संग समारोह में श्रद्धालु भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। संतप्रवर ने कहा कि सोचकर निर्णय लेना चिंतन है, पर केवल सोचते रहना ंिचंता है। मस्तिष्क में चलने वाले अनिर्णयात्मक चिंतन का परिणाम है चिंता। चुटकी लेते हुए संतश्री ने कहा कि बचपन में पढ़ाई की चिंता, परीक्षा दें तो परिणाम की चिंता, युवक को के रियर की चिंता, केरियर बन जाए तो शादी की चिंता, शादी के बाद बच्चों की चिंता, बच्चें हो जाए तो उन्हें पालने की चिंता, बूढ़े हो गए तो बीमारी की चिंता और मर गए तो स्वर्ग में जाएंगे या नर्क में इसकी चिंता। अगर स्वर्ग में चले गए तो तुम जाना ही चाहते थे और नर्क में चले भी गए तो भाई किस बात की चिंता करते हो तुम्हारे अनेक दोस्त पहले से गए हुए हैं उनके साथ गप्पे मारते रहना और जिंदगी काटते रहना।
चिंता एक नुकसान अनेक-संतश्री ने कहा कि चिंता से चेहरे की चमक नष्टड्ढ हो जाती है, दिमाग और हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। चिंता व्यक्ति की सुख की रोटी और चैन की नींद भी छीन लेती है। उन्होंने कहा कि चिंता करने की बजाय यह सोचें कि ईश्वर जो  करता है अच्छा करता है और वह वही करता है जो होना होता है। अनहोनी को किया नहीं जा सकता और होनी को टाला नहीं जा सकता, हर घटना में यह सोचकर इंसान चिंता पर विजय प्राप्त कर सकता है।
दिमाग में लोड मत लीजिए-चिंता से बचने का पहला टिप्स देते हुए संतश्री ने कहा कि दिमाग में बेवजह की सिरपच्चियाँ मत पालिए। ज्यादा छातीकूटा मत कीजिए। बेटे-बहुओं को ज्यादा टोकाटोकी-रोकारोकी मत कीजिए नहीं तो आप उन्हें भारभूत लगने लगेंगे। उन्हें जिम्मेदारी सौपिए और मुक्त हो जाइए। उन्होंने कहा कि बड़े छोटों की गलतियों को नजरअदांज करे और छोटे बड़ों की डाँट को सहजता से लें। इस तरह व्यक्ति चिंता की होली जलाए और खुशहाली के फूल खिलाए ताकि घर का वातावरण स्वर्ग सरीखा हो जाए।
ईश्वर की व्यवस्थाओं में भरोसा कीजिए- चिंता से बचने का दूसरा टिप्स देते हुए संतश्री ने कहा कि जानवर खेती नहीं करते फिर भी इंसानों के लिए धान बाद में आता है और ईश्वर उससे पहले जानवरों के लिए घास की व्यवस्था करता है। वह जिसे चोंच देता है उसे चुग्गा भी देता है इसलिए भगवान से मांगने या शिकायत करने की बजाय उसने जो दिया है उसके लिए साधुवाद दीजिए और उसकी व्यवस्थाओं में भरोसा कीजिए। अपनी चिंताओं को उसके हवाले करने की प्रेरणा देते हुए संतप्रवर ने कहा कि एक बार ऊपरवाले को भी चिंता करने का अवसर दीजिए ताकि वह आपको चिंतामुक्त कर सके।
भय का भूत भगाइए-दूसरा टिप्स देते हुए संतश्री ने कहा कि किसी व्यक्ति, वस्तु या बात को लेकर भयग्रस्त और चिंताग्रस्त मत होइए। मौत जीवन में दो बार नहीं आती है और समय से पहले आना उसके भाग्य में भी लिखा हुआ नहीं है। आज तक किसी के लिए आठवां वार पैदा नहीं हुआ, जाना तो सातों वारों में से ही एक दिन है फिर किस बात का भय!
वर्तमान में जीने की कोशिश कीजिए-संतश्री ने तीसरे टिप्स में कहा कि चाह और चिंता का चोलीदामन का साथ है इसलिए इच्छाओं के मकडजाल से बचिए और भविष्य के ख्वाबों व अतीत की कल्पनाओं की बजाय वर्तमान में जीने की कोशिश कीजिए। अन्य टिप्स में संतप्रवर ने सहजता से जीवन जीने, हर समय व्यस्त और हर हाल में मस्त रहने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम में सैकड़ों भाई-बहन उपस्थित थे।
गुरुजनों का मां मागल्य भवन, लिंक रोड पर होगा चातुर्मासिक प्रवास -अध्यक्ष पारस चपलोत एवं मंत्री षंकर घीया ने बताया कि राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ और ललितप्रभ महाराज का चातुर्मासिक प्रवास मां मांगल्य भवन, योगी नगर सर्कल के पास, मेटरो ब्रिज पिल्लर 195 के सामने, लिंक रोड़, बोरीवली वेस्ट में होगा जहां भाई बहन दर्षन लाभ एवं ज्ञानचर्चा हेतु आ सकते हैं।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar