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ज्ञान वाणी

हमारी पहचान अपनी भाषा, परिवेश, भोजन: आचार्य धर्मेन्द्र

कोलकाता. भारत के सांस्कृतिक कायाकल्प में सक्रिय आचार्य धर्मेन्द्र महाराज ने कोलकाता आगमन पर समाजसेवी संदीप अग्रवाल, जयदीप अग्रवाल के लेक टाउन स्थित निवास पर संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय नागरिक की पहचान अपनी भाषा, परिवेश, भोजन है लेकिन विडम्ब्ना है कि सन 1947 में भारत की आजादी के 71 वर्षों के बाद भी भारतवासी ब्रिटिश शासकों की देन अंग्रेजी के मोह में जकड़े हुए हैं। भारत की अस्मिता, पहचान विलुप्त होती जा रही है।

हिंदी, हिंदुत्व और हिन्दुस्तान के उत्कर्ष के लिए समर्पित आचार्य धर्मेन्द्र महाराज ने कहा कि इंडिया के स्थान पर देश का नाम भारत-हिन्दुस्तान होना चाहिये। राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के प्रसंग में उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा एवं प्रचलित बोलियों का विविध स्वरुप है। राष्ट्रभाषा हिंदी के उत्कर्ष के साथ ही भारत के सभी राज्यों की भाषा में शिक्षा देने से बच्चों को वैदिक भारतीय संस्कृति के संस्कार मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि फ्रांस की राष्ट्रभाषा फ्रेन्च, रूस की राष्ट्रभाषा रसियन, जापान की राष्ट्रभाषा जापानी है, अपने-अपने राष्ट्र की मातृभाषा है। ब्रिटिश शासकों की देन अंग्रेजी की दासता से मुक्त करने एवं हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने की दिशा में प्रत्येक भारतीय को नैतिक कर्तव्य का पालन करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि भारत के स्वाधीनता संग्राम के प्रेरक गीत वन्दे मातऱम के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस, कविगुरु रबीन्द्र नाथ टैगोर एवं मनीषियों की जन्मभूमि, माँ, माटी, मानुष की बंगभूमि की संस्कृति का विशिष्ट स्थान है।

आचार्य धर्मेन्द्र महाराज के श्रीमुख से संगीतमय श्रीराम कथा का आयोजन सत्संग भवन, मालापाडा में होगा। श्रीराम कथा के आयोजक शंकरलाल गुप्ता, निर्मल कुमार, मधुसूदन, अरुण गुप्ता ,अर्पिता अग्रवाल, वंदना अग्रवाल, विजय निगानिया, विकास लोहिया, रमेश शर्मा एवं श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे। 

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