कोडम्बाकम और वडपलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 28 सितम्बर 2022 बुधवार को परम पूज्य सुधा कंवर जी महाराज साहब ने फरमाया कि स्वाध्याय के द्वारा साधक को अंतर निरीक्षण करना होता है। परनिंदा, परआलोचना एवं पराध्याय से हटके स्वनिंदा, स्वआलोचना और स्व का अध्ययन करता है। स्वाध्याय के द्वारा ज्ञानावर्णनीय कर्म की परतें टूटती है और ज्ञान का आलोक जगमगाने लगता है। किसान खेत में बीज डालता है एक दाने के हजार दाने करने के लिए। ठीक वैसे ही साधक स्वाध्याय के द्वारा ज्ञान रूपी फसल को प्राप्त करता है। आज हमारे पास में जो ज्ञान निधि सुरक्षित है उसका श्रेय उन महापुरुषों को जाता है जिन्होंने अथक परिश्रम करके साहित्य सर्जना की, आगमों का लेखन किया।
प.पू.सुयशा श्री जी म सा ने फ़रमाया कि हम पूरी जिंदगी शारीरिक स्तर पर बिता देते हैं परंतु मनुष्य जीवन की सार्थकता तभी है जब हम शारीरिक स्तर से ऊपर उठकर आत्मिक स्तर पर अपने जीवन को जिए। इसके लिए हमें सिर्फ अपने बारे में नहीं दूसरों का भी ख्याल करना चाहिए। जिंदगी में हमने सामग्री और संपत्ति तो बहुत इकट्ठी की लेकिन जीवन को सार्थक बनाने के लिए सद्गुण और संस्कारों का संग्रह करना भी आवश्यक है। हम सब छद्मस्त हैं इसीलिए भूल होना स्वाभाविक है लेकिन उस भूल को ना मानना और उसी गलती को दोहराते रहना यह मनुष्य की सबसे बड़ी विडंबना है। इसीलिए आवश्यक है की हम अपनी गलतियों को स्वीकार करें और उन्हें सुधारने की ओर कदम बढ़ाएं।