कोडमबाक्कम वडपलनी में 4-11-2022 को धर्म सभा को संबोधित करते हुए सुधा कंवर जी म सा ने स्वाध्याय की चर्चा करते हुए फरमाया कि स्वाध्याय अंतरंग तप है, ज्योति है। स्वाध्याय के द्वारा साधक आत्मा से परमात्मा बन जाता है। स्वाध्याय के पांच भेद बताए – वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्मकथा।
साध्वी सुयशा श्री जी मसा ने फरमाया कि हम जन्म अकेले लेते हैं मृत्यु को भी अकेले ही प्राप्त करते हैं। लेकिन जन्म और मृत्यु के बीच का जीवन हम लोगों के साथ बिताते हैं। इसीलिए यह आवश्यक है कि लोगों के साथ हमारा व्यवहार सुंदर हो। और इसके लिए परमात्मा ने कहा है कि किसी का अपमान ना करें, किसी को नजरअंदाज ना करें, किसी की उपेक्षा ना करें और किसी की जिंदगी में दखलअंदाजी ना करें।
6 नवंबर रविवार को लोकाशाह जयंती जैन धर्म दिवाकर प्रसिद्ध वक्ता परम पूज्य श्री चोथमलजी मरासा की जन्म जयंती चातुर्मास विदाई एवम कृतज्ञता समारोह श्री जैन संघ के तत्वाधान में मनाया जायेगा ।
आज की धर्म सभा में कोटा, बेगूं एवं चेन्नई के कई उपनगरों से श्रद्धालु गण उपस्थित हुए।