चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा पाप की कमाई से घड़ा भरने के बजाय पुण्य कमा कर लेनी चाहिए। जैसी करनी होगी वैसी ही भरनी होगी।
अनंत काल से यह सत्य चला आ रहा है। जीवन का उद्धार करना है तो पुण्यवान बनें। साध्वी सुविधि ने कहा कि कोई भी काम होश में होकर यातना पूर्वक करना चाहिए। भोजन को सही तरीके से करेंगे तो स्वस्थ रहेंगे।
जीवन सुरक्षित तब तक रहेगा जब तक शरीर ठीक है और शरीर को ठीक रखने के लिए आहार जरूरी है। वर्तमान में लोग कुछ भी खाकर अस्वस्थ हो रहे हैं। ऐसा सिर्फ स्वाद लेने की वजह से हो रहा है।
मनुष्य को स्वाद के लिए नहीं बल्कि स्वाद लेकर खाना चाहिए। खाने से पहले क्यूं खाना, कितना खाना, कब खाना और क्या खाना है? पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैसा मनुष्य भोजन करेगा वैसा ही उसका स्वास्थ रहेगा।
स्वाद पाने के लिए लोग बाहर कुछ भी खाते हैं और शरीर को गवां देते हैं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ और साधना के लिए खाने पर जीवन सुखद बनता है। उन्होंने कहा कि आज के समय मे लोग जो भी पाते हैं खा लेते हैं।
जैसा खाते हैं अन्य वैसा ही होता है मन। मनुष्य अगर स्वस्थ भोजन करेगा तो उसका मन स्वस्थ रहेगा। मांसाहार का सेवन करने वालों का मन नियंत्रित नहीं होता है। कम खाओ, गम खाओ और नम जाओ।
जितना भूख हो उसका आधा ही खाना चाहिए। खाते खाते ही जीवन को नहीं निकलना चाहिए। जीवन मे सुखी रहना है तो खाने पर नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी है।