एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा व स्नेहप्रभा के सान्निध्य में पर्यूष्यण पर्व के पहले दिन नवकार मंत्र का अखंड जाप शुरू हुआ। इस अवसर पर साध्वी धर्मप्रभा ने कहा यह पर्व आत्मा की परम शुद्धि करने वाला है। यह प्रत्येक आत्मा को अध्यात्मोन्मुखी दृष्टि प्रदान करता है। वैर विरोध का शमन कर प्रेम क्षमा मैत्री की त्रिवेणी प्रवाहित करता है।
किसी दूसरे की निन्दा न कर स्वयं में झांकना ही पर्यूषण पर्व का संदेश है। यह पर्व हमें अंतरमुखी दृष्टि देता है। सरलता से जीवन को सरस और सहज बनाने में पर्यूषण की सार्थकता है। तप, त्याग और अनुष्ठान श्रद्धा से अंगीकृत करें। बड़े ही पुण्य से ये अवसर मिलता है।
इसका लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कृष्ण चरित्र का वाचन भी किया। इससे पहले साध्वी स्नेहप्रभा ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन करने के बाद अहिंसा दिवस पर कहा कि भगवान महावीर का धर्म दया, अहिंसा और करुणा का धर्म है।
अहिंसा रहित धर्म की कल्पना बिलकुल वैसे ही है जैसे की पानी से मक्खन निकालने का प्रयास। अहिंसा और हिंसा भी तीन प्रकार की होती है मन वचन और काया से। जिस साधक के मन में दया नहीं है वह धर्म नहीं बल्कि मात्र दिखावा कर रहा है। असली धर्म वही है जिसमें दया व अहिंसा के भाव रग-रग में समा जाए।