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ज्ञान वाणी

स्वनिन्दा धर्म है और परनिन्दा पाप: साध्वी कंचन कुंवर

 

चेन्नई. साहुकारपेट, मिंट स्ट्रीट स्थित महावीर भवन में ३ मई को उमराव ‘अर्चना’ सुशिष्या साध्वी कंचन कुंवर, राजस्थान प्रवर्तिनी साध्वी डॉ. सुप्रभा ‘सुधा’, साध्वी डॉ. उदितप्रभा ‘उषा’, साध्वी विजयप्रभा, साध्वी डॉ. हेमप्रभा ‘हिमांशु’, आदि ठाणा 8, के सानिध्य में प्रवचन का कार्यक्रम हुआ।

साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने निन्दा को प्रशस्त और अप्रशस्त यानी अच्छा और बुरा दोनों ही बतलाया है। अनेकान्त दृष्टि से स्वनिन्दा प्रशस्त एवं पर निन्दा अप्रशस्त है।

मानव का स्वभाव है- वह स्व की प्रशंसा एवं पर की निन्दा करता है लेकिन हमें जीवन को शांतिमय सुखमय बनाना है तो परनिन्दा न करें। परनिन्दा से द्वेष होता है, द्वेष से स्नेह-प्रेम के वातावरण में दूरियां हो जाती है। निन्दा करनी है तो स्वयं की करें।

स्वनिन्दा अमृत है तो परनिन्दा जहर। स्वनिन्दा पुण्य व धर्म है, परनिन्दा पाप है। अनेक उदाहरणों से इसकी अभिव्यक्ति दी। महासती निलेशप्रभा ने प्रेम का महत्व बतलाया, प्रेम ही जीवन है। हर व्यक्ति प्रेम चाहता है।

प्रेम का भूखा व्यक्ति ही नहीं पशु भी प्रेम की भाषा जानता है। 4 जून को सुबह 5.30 बजे श्री बादलचन्द चोरडिया स्कूल से विहार कर सिंघवी गेस्ट हाऊस नं. 28 तिरुपल्ली स्ट्रीट, साहूकारपेट पर पधारेंगे। जहां पर 9.15 बजे साध्वीवंृद के प्रवचन कार्यक्रम होंगे।

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