*☀️प्रवचन वैभव☀️*
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271)
स्मृति के पाप
सातवीं नर्क तक
ले जा सकते है..!
272)
मानव भव की
महिमा पाप त्याग से हैं.!
273)
वीतराग का धर्म
वीतराग बनने के लिए हैं.!
रागवान बनने के लिए नही.!
274)
समकित वासित
भावधारा के बल से
अनंत पुद्गल परावर्तन में
संचित कर्मो का पल में
नाश हो जाता हैं.!
275)
क्रिया कितनी भी
श्रेष्ठ शुद्ध विधिसंपन्न हो
लेकिन मन में मलिनता है तो
कोई सार नही है ऐसी क्रिया का.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*युग प्रभावक वीर गुरुदेव*
*सूरि जयन्तसेन चरण रज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर