तिरुमलिसै महावीर जैन स्थानक का हुआ लोर्कापण
श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी महाराज के सान्निध्य में बुधवार प्रातः हुए एक समारोह में तिरुमलिसै स्थित महावीर जैन स्थानक का लोकार्पण हुआ। समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इस अवसर पर उपप्रवर्तिनी कंचनकंवरजी एवं महासती राजमतिजी आदि ठाणा की निश्रा मिली। पलक मुथा ने वेलकम स्पीच में कहा कि संघ की मेहनत रंग लाई और आज हमारा सपना साकार हुआ। उन्होंने कहा यह स्थानक जीवन निर्माण का स्त्रोत है। तिरुमलिसै संघ की सदस्याओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। अरुणा सुराणा ने कहा कि आज गुरुदेव ने हमारी झोली को पुण्याई से भरकर संघ की शान को बढ़ा दिया। महिला मंडल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। बच्चों ने भी गीत व भावनात्मक नाटिका प्रस्तुत की। नवनिर्मित स्थानक के सहयोगियों, व अतिथियों का सम्मान किया गया।
युवाचार्य भगवंत ने इस मौके पर कहा कि नवनिर्मित स्थानक का उद्घाटन इस क्षेत्र की पुण्याई है। तिरुमलिसै मध्यवर्ती क्षेत्र है। पहले 1956 में यहां स्थानक बना था। केवलमुनि का चातुर्मास यहां हुआ। यह धर्म स्थानक आने वाली पीढ़ियों के लिए धर्म आराधना का केंद्र बन सकता है। आज तिरुमलिसै के सुंदर वास्तु की शुरुआत हुई है।।स्थानक बनना यानी संघ की शक्ति बढ़ना है। यह सबके लिए आदर्श बन गया है। यह धर्म, परमात्मा के प्रति आस्था का बल है।
उन्होंने कहा जीवन में ठहरना और चलना दोनों महत्वपूर्ण है। जीवन में वही व्यक्ति चल सकता है जो कुछ देर ठहर सकता है। यदि जीवन में आगे बढ़ना है तो रुकना जरूरी है। ठहरना, रुकना हमें शक्ति देता है। खाने से ऊर्जा मिलती है लेकिन विश्राम करने से हमारी शक्ति सक्रिय होती है। सिर्फ स्थानक ही है, जहां आपको शांति का अनुभव होगा। यहां रोजाना आकर एक सामायिक, एक नवकारवाली पक्का करनी है, इससे आपके मन को शांति मिलेगी। आपके घर, व्यापार के स्ट्रेस कम होंगे। स्ट्रेस को दबाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यहां जो समय व्यतीत करेंगे, आप समझना, आपने उसे व्यर्थ नहीं किया। आपने दो घड़ी भी यहां आकर धर्म ध्यान किया तो पूरा दिन प्रफुल्लित रहेगा। संघ के सदस्यों, युवाओं ने इस कार्य को बड़ों की धरोहर समझकर संपूर्ण किया है, वे साधुवाद के पात्र हैं। यह धर्म स्थानक मुक्ति स्थान तक पहुंचने में सहायक बने। धर्म स्थान से धर्म आराधना कर जीवन में आगे बढ़ें।
महासती विनयश्रीजी ने कहा कि अपने जीवन में पवित्र स्थान के निर्माण का अवसर मिला है, उससे चूके नहीं। यह कर्मनिर्जरा का स्त्रोत है। महासती दिव्ययशाश्रीजी ने कहा कि धर्म स्थान का निर्माण करना पुण्य का उपार्जन करना है। इस धर्म स्थानक को कभी ताला या जाला नहीं लगना चाहिए, इसका ध्यान रखें। माम्बलम स्थानकवासी जैन संघ के अध्यक्ष डॉ. उत्तमचंद गोठी ने कहा कि आज तिरुमलिसै तीर्थ स्थान में परिवर्तित हो गया है।
वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के महामंत्री धर्मीचंद सिंघवी ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरुदेव का यशस्वी चातुर्मास शानदार तरीके से संपन्न हुआ। उन्होंने सुंदर स्थानक के निर्माण हेतु तिरुमलिसै संघ को बधाई दी व युवाचार्यश्री की सुखद विहार यात्रा की मंगल कामना की। सपना मुथा, दिलीप सुराणा, राजेश सुराणा, वरुण मुथा, प्रकाश बोहरा ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के अध्यक्ष सुरेश लुनावत, भीकमचंद लुंकड़, युवा महासंघ के अध्यक्ष आनंद बालेचा, तिरुमलिसै स्थानकवासी जैन संघ के अध्यक्ष जवरीलाल सुराणा, उपाध्यक्ष आई.पदमचंद सुराणा, मंत्री एस.रणजीत सुराणा, सहमंत्री एल.विनोद मुथा, कोषाध्यक्ष दिलीप सुराणा सहित कई गणमान्य उपस्थित थे। पदमचंद सुराणा ने कार्यक्रम का संचालन किया।