चेन्नई. टी. नगर जैन स्थानक विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा मनुष्य को सेवा भावना के साथ जीवन में आगे बढऩा चाहिए। अगर सेवा भाव नहीं है तो आगे बढऩा संभव नहीं हो सकता है। सेवा भावना होने पर मनुष्य समाज के उच्च कोटि के आसन पर विराजमान हो सकता है। मनुष्य को अपने माता पिता के उपकार को नहीं भूलना चाहिए।
उनकी सेवा में कभी कोई कमी नहीं करनी चाहिए। अगर व्यक्ति अपने माता पिता के हृदय में स्थान बनाता है तो उसे जीवन में आगे जाने के लिए और कहीं स्थान बनाने की जरूरत नही पड़ेगी। उन्होंने कहा माता पिता की सेवा ही परमात्मा की सेवा है। अगर आप अपने माता पिता को कष्ट दोगे तो जीवन भर आपको कष्ट उठाने पड़ेंगे। माता पिता की सेवा का अवसर बहुत ही भाग्य से मिलता है।
अगर आपने यह अवसर खोया तो फिर यह मिलने वाला नहीं है। जीवन में सेवा भावना के साथ परोपकार की भावना से जीवन को सफल बनाने का प्रयास करें। कभी मनुष्य का जीवन सफल होगा। इससे पहले नवकारमंत्र का जाप हुआ।