चेन्नई. संसार का हर व्यक्ति सुख, शांति व समृद्धि चाहता है। चाहने से ही हर वस्तु की प्राप्ति हो तो बात ही अलग है। फिर तो संसार का हर व्यक्ति ही सुखी हो जाए। सुख-शांति – समृद्धि की प्राप्ति में प्रभु कृपा एवं गुरु कृपा भी अहम भूमिका निभाती है। यह विचार श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा यूं देखा जाए तो एक मजदूर व्यक्ति भी सुबह से शाम तक मेहनत करता है। परंतु कितना कमा पाता है? दूसरी ओर एक सेठ ऑफिस में दो चार घंटे बैठता है तो भी लाखों-करोड़ों कमा लेता है। कारण कि -मेहनत के साथ साथ भाग्य और पुुण्य भी काम करता है।
अब आपके मन में प्रश्न होगा कि महाराज! भाग्य को कैसे जगाएं? तो उसके लिए हर धर्म व परंपरा में कुछ विशेष स्तोत्र, मंत्र व जाप पाठ होते हैं जो आपके सोए हुए भाग्य को जगाने में पासवर्ड का काम करते हैं। जैन परंपरा में नमोत्थुणं के पाठ का विशेष महत्व है। जैन परिभाषा में इसे ‘शक्र स्तव’ भी कहा जाता है। स्वयं ‘शक्रेन्द्र महाराज’ इस पाठ के द्वारा तीर्थंकर परमात्मा की वन्दना करते हैं। रुपेश मुनि ने बताया कि- नमोत्थुणं की साधना से तन- मन व आत्मा की शुद्धि होती है। इस महामंगलकारी आराधना से शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक उन्नत्ति होती है। साधु-साध्वी हों या श्रावक-श्राविकाएं यदि श्रद्धा भाव से प्रतिदिन 27 बार इस ‘स्तव’ का जाप कर लें तो यह ऐसी कल्याणकारी साधना है जो साधक के जीवन में सहज ही अनेक प्रकार के चमत्कार घटित कर देती है।
मुनिश्री ने बताया कई ऐसे उच्च कोटी के साधक वर्तमान समय में भी हैं जो प्रतिदिन 108′ नमोत्थुणं जी’ का विशेष जप ध्यान करते हैं। ऐसे साधक का जीवन स्वयं में तो मंगलकारी बनता ही है साथ ही उनके आभामंडल में आने प्रत्येक श्रद्धालु का जीवन भी कल्याणकारी बन जाता है। दादा गुरुदेव प्रवर्तक भण्डारी पद्म चन्द्र जी म. एवं आराध्य गुरुदेव अमर मुनि जी म. ‘नमोत्थुणं जाप’ के ऐसे विशिष्ट आराधक थे, जिनके आशीर्वाद मात्र से ही भक्तों के बिगड़े काम संवर जाते थे। लोकेश मुनि ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। संघ के मंत्री शांति लाल लुंकड़ ने बताया कि रविवार को नमोत्थुणं जाप की विशेष आराधना की जाएगी।