प्रदेश की डीजीपी, पूर्व मुख्यमंत्री व विधानसभा स्पीकर ने किए आचार्य के दर्शन
पुदुचेरी. आचार्य महाश्रमण अपनी अहिंसा यात्रा के तहत भारत के दूसरे केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी पहुंचे। यहां स्थित विवेकानंद हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रांगण में बने सरस्वती महल सभागार में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि साधु हो अथवा साधारण मनुष्य किसी को भी अति कामना, भोग, लालसा से बचने का प्रयास करना चाहिए।
कामना एक शल्य (कांटा) के समान है। यदि मनुष्य की कोई कामना या इच्छा पूर्ण नहीं होती तो वह उस मनुष्य को चुभने लगती है और उसको विचलित भी बना सकती है। इससे आदमी दु:खी भी हो जाता है। कामना से मनुष्य ही नहीं, देवता भी दु:खी बन सकते हैं। इसलिए आदमी को अपनी कामनाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी इच्छाओं का सीमाकरण करने का प्रयास करना चाहिए। इच्छाओं का सीमाकरण और अल्पमूल्य बनने का प्रयास करें तो आदमी को जीवन अच्छा बन सकता है।
उन्होंने कहा आदमी लालसा, कामना से जितनी दूर रहे, शांति में रह सकता है। आदमी परिग्रहों का भी अल्पीकरण अथवा संयम रखे और स्वयं को अभय बनाने का प्रयास करे तो उसका जीवन सुखी और शांतिमय हो सकता है। आदमी के जीवन में अशांति और दु:ख का प्रमुख कारण कामना और लालसा होती है। कामनाओं और इच्छाओं का सीमाकरण कर और जीवन में संयम लाकर आदमी सुख और शांति को प्राप्त कर सकता है।
प्रवचन के अंत में आचार्य ने लोगों को अहिंसा यात्रा के संकल्प भी स्वीकार करवाए। आचार्यश्री के प्रवचन से पूर्व महाश्रमणी साध्वीप्रमुखा ने भी उद्बोधन दिया। आचार्य के स्वागत में स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओं ने गीत का संगान किया। तेरापंथी उपसभा के अध्यक्ष हेमराज कुंडलिया, रोटरी क्लब की ओर से पांडिराजन व विद्यालय की ऑनर के. पद्मा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला बेंगलुरु ने अपनी प्रस्तुति दी।
आचार्य के मंगल प्रवचन से पूर्व ही दर्शनार्थ पहुंची पुदुचेरी की डीजीपी सुन्दरी नंदा ने उनके दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। पुदुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान पुदुचेरी विधानसभा स्पीकर वी. वैथीलिंगम ने भी आचार्य के दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया।