अगर संगत से ही तमाम खूबियाँ आ जातीं तो गन्ने के साथ साथ उगने वाले पौधों में रस क्यों नहीं होता …. ??
सिर्फ अच्छी संगत करने से ही कोई विद्वान अथवा साधु नहीं बन जायेगा।
संगत में सकारात्मक बातें सीखकर उन्हें अपने जीवन में व्यावहारिक रूप से उतारने पर ही संगत की सार्थकता होगी अन्यथा सब वैराग्य ही साबित होगा।
गन्ने ने खुद में धरती से रस खींचकर खुद को मीठा बना लेने की क्षमता विकसित कर ली हुई है इसलिए वह मीठा बन जाता है परन्तु उसके साथ ही उगनेवाली घास-फूस एवँ अन्य झाड़ियाँ रूखी ही रह जाती हैं।
स्वर्ण संयम आराधक परम पूज्य गुरुदेव श्री वीरेंद्र मुनिजी महाराज का चार्तुमास मंगल प्रवेश तमिलनाडु के सेलम के शंकर नगर स्थित श्री वर्घमान स्थानकवासी जैन संघ में 4 जुलाई दोपहर 12.05 बजे होगा।