चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा जीवन में आगे जाना है तो आगे आना होगा। जो पीछे रहते हैं वे हमेशा पीछे रह जाते हैं। लोग आगे निकल कर सफल तो होना चाहते हैं लेकिन मेहनत की बात आने पर पीछे हट जाते हैं।
धर्म में अगर आगे जाना है तो उसके लिए तपना होगा। जिस प्रकार से सांसारिक सुख के लिए मनुष्य दिन रात तपता है और अंत में सुख पा लेता है। वैसे ही अगर धर्म में आगे जाना है तो उसके लिए तप करने को आगे आना होगा। जब तक मनुष्य मन में कुछ करने का संकल्प नहीं लेगा धर्म के लिए आगे नहीं आ पायेगा। सांसारिक सुखों से मानव भव का कल्याण नहीं होगा बल्कि धर्म के कार्य से होगा।
साध्वी समिति ने कहा हर सुख अच्छे नहीं होते और हर दुख बुरे नहीं होते। साधना के मार्ग पर बढऩे पर मनुष्य को दुख होता है। लेकिन इस मार्ग के दुख को दुख नहीं मानना चाहिए। इस दुख को अगर सहन कर लिया तो जीवन के सभी दुख सुख में बदल जाएंगे। आयंबिल, एकासन और तप करने से पहले लोग सोचते हैं।
सबको लगता है कि इसमें बहुत तपना पड़ेगा। लेकिन याद रहे कि इस दुख के पीछे सामान्य सुख नहीं बल्कि मोक्ष का सुख मिलता है। सांसारिक सुख को रोक कर रखना किसी के बस की बात नहीं है लेकिन संयम और साधना के मार्ग से मिलने वाला सुख कभी खत्म नहीं होता।
जीवन मे कर्मो में फंस कर नाचने के बजाय तप कर जीवन को बदल लेना चाहिए। जीवन में शील के भाव आने के बाद मनुष्य को सही गलत मार्गो का बोध हो जाता है।
संघ मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने बताया कि संघ के सभी पदाधिकारी रविवार को मरलेचा गार्डन में विराजित जयधुरंधर मुनि के समक्ष आगामी चातुर्मास की विनती रखेंगे।