श्री हीराबाग जैन स्थानक सेपिंग्स रोड बेंगलुरु में साध्वी श्री आगम श्री जी म सा ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी ने स्वयं आत्म शुद्धि की साधना की थी। क्योंकि साधना के बिना शुद्धि नही होती। धर्म की शुरुवात मानव जीवन से होती हैं। सारी दुनिया को बदलने की शक्ति हमारे में नहीं परंतु स्वयं को बदलने की शक्ति हमारे में हे। धर्म की नीव मैत्री है। बदलना है बदला नहीं लेना। गुणसागर के लग्न मंडप में होने पर भी उनका ध्यान धर्म और गुरु चरणों में था। चिंतन करते करते लग्न मंडप में मुक्ति पाई।
शादी करने आए रामदास स्वामी और सावधान सावधान सुनते सुनते जल गए। वहां से भाग कर अपनी आत्मा का कल्याण कर लिया। श्री धैर्या श्री जी म सा ने बताया नवतत्वों समयग् रूप से जानना हे। तत्वभूत पदार्थ के वास्तविक रूप को स्वीकार करना सम्यक्तव कहलाता है।
जो भगवान ने फरमाया है वही सत्य है। वह जीव अपनी साधना करते करते आगे बढ़ता है तब कही जाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है। खुलजा हीरा अर्चना स्पर्धा रखी गई। सभी ने भाग लेकर स्पर्धा का आनंद लिया। संचालन गौतम चंद नाहर ने किया।