चेन्नई: यहाँ मैलापुर में बाजार रोड स्थित जैन स्थानक में विराजित प्रखर वक्ता श्री कपिल मुनि जी म.सा. ने रविवारीय विशेष प्रवचन के दौरान कहा कि इस संसार में जो कुछ भी प्राप्त हुआ है उसकी प्राप्ति में ये याद रखना चाहिए की शरीर,सत्ता और संपत्ति सब कुछ उधार मिला है । मिला हुआ कहते ही उसे जो एक दिन मिट और बिछुड़ जाएगा। मिटने वाली चीजो को अमिट मानकर उनके लिए मर मिटना समझदारी का प्रमाण कतई नहीं है।
मुनि श्री ने कहा कि इस संसार में जो प्रेम , अपनत्व , सौहार्द और भाईचारा दिखाई देता है उसका श्रेय महापुरुषों की वाणी को जाता है। परम्परा से वही सर्वहितकारी वाणी आज संतों के माध्यम से आप तक पहुँच रही है। जब तक उस वाणी को आचार में प्रकट नहीं करेंगे तब तक जीवन का कल्याण संभव नहीं है। मुनि श्री ने कहा कि धर्म के नाम पर कोरे क्रियाकांड कर लेने से मुक्ति नहीं होगी । राग द्वेष की आंच को मंद करके ही जीवन में सरलता और समता आदि सद्गुणों को आत्मसात करने पर ही भव भ्रमण को मिटाया जा सकेगा। धर्म का सम्बन्ध किसी पंथ और संप्रदाय से नहीं अपितु चित्त की शुद्धता से है।
जिनकी आँखों के समक्ष बड़ा लक्ष्य होता है वह छोटी छोटी बातों पर गौर करके अपने बेशकीमती वक्त को जाया नहीं करते। व्यक्ति के द्वारा की जाने वाली धर्म साधना का लक्ष्य वीतरागता को प्राप्त करना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति तभी संभव होगी जब व्यक्ति का मन कषाय से शून्य होगा।वीतराग वाणी के श्रवण का ध्येय भी बेहोशी को दूर करना है। इस संसार भी वे सभी प्राणी बेहोश हैं जिन्हें इस बात का पता नहीं कि मैं कौन हूँ, कहाँ हूँ और क्या कर रहा हूँ। अपने स्वरूप को समझ कर ही कोई जीवन के सत्य पर विश्वास कर पाता है। मुनि श्री ने कहा कि जीवन का सबसे बड़ा सत्य यही है कि जो जन्मा है वो अवश्य मरेगा, जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।
इस सत्य को नजर के समक्ष रखकर चलोगे तो जीवन पाप और दोष से मुक्त हो जायेगा । दोष मुक्त जीवन ही दुःख से मुक्ति और छुटकारा प्राप्त करता है । अपने अंतर्मन को जिसने विवेक के उजाले से भर लिया है वह सार- असार , उचित और अनुचित , करणीय और अकरणीय के बीच भेदरेखा को स्पष्ट कर लेता है । जो छोड़ने योग्य है उसे पकड़ने की और ग्रहण करने योग्य चीज को छोड़ने की मूर्खता हरगिज नहीं करता । सोमवार को मुनि श्री का प्रवचन सवेरे 9.15 बजे से मैलापुर जैन स्थानक में ही होगा ।