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सहधर्मी की आवश्यकताओं को पूर्ण करना लौकिक धर्म है: जयतिलक मुनिजी

सहधर्मी की आवश्यकताओं को पूर्ण करना लौकिक धर्म है: जयतिलक मुनिजी

प्रवचन 4-10-23

नार्थ टाउन में ए यम के यम स्थानक में गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने प्रवचन में फरमाया कि श्रुत धर्म, चारित्र धर्म दो प्रकार का धर्म है। सर्वविरति धर्म तीन करण, तीन योग से लिया जाता है। ये पच्चकखाण साधु एवं साध्वी के लिये है। मन, वचन, काया इन तीन साधनों से जीव पाप करता है। करवाता है, अनुमोदन करता है। सम्पूर्ण पाप का त्याग कर संसार में जीवन यापन करना बहुत कठिन है।

इसलिए भगवान ने आंशिक रूप से धर्म पालन करने के लिए देशविरति धर्म का निरुपण भी किया है। जो पाप करना जरूरी नहीं है उनका त्याग करने का निर्देश दिया। देशविरति धर्म का पालन करने से भी जीवन में पाप कम और धर्म ज्यादा होता है। अचार -पापड की भाँति पाप और मिष्ठान -रोटी की भाँति धर्म करना चाहिए। त्रसकाय की हिंसा करना आवश्यक नहीं है। इसलिए त्रसकाय की हिसां का त्याग और पाँच स्थावर काय जीवन निर्वाह के लिए खुला रखने का निर्देश दिया। किसी को मरण तुल्य वेदना हो ऐसा झूठ नहीं बोलना चाहिए। भगवान ने ऐसे झूठ के त्याग का निर्देश दिया है‌। झूठ क्रोध, मान, माया, लोभ, हास्य, भय आदि 6 कारणों से बोला जाता है।

भगवान ने झूठ को छोटा और बड़ा झूठ दो भागों में बाँट दिया। छोटे झूठ का आगार रख बड़े झूठ का त्याग जीवन पर्यन्त के लिए करना चाहिए। छोटा झूठ बिना आवश्यकता नहीं बोलना चाहिए। कन्या-पुरुष सम्बन्धी, गाय, सम्बन्धी, भूमि सम्बन्धी जैसे खेत, मकान आदि, किसी की धरोहर हजम करने सम्बन्धी झूठ बोलने का त्याग करना चाहिए। साधर्मी का अर्थ एक समान जाति कुल व एक समान धर्म का पालन करने वाले। सहधर्मी श्रावक, श्राविका की अपनी-2 पुण्यवाणी होती है। सहधर्मी का ख्याल रखना दूसरे सह- धर्मी का कर्तव्य है।

उनको सहयोग देने से उनका जीवन यापन सुगम हो जायेगा और वे धर्म क्रिया कर पायेंगे। समय-2 पर सहधर्मी की आवश्यकताओं को पूर्ण करना लौकिक धर्म है। ऐसी सेवा करके पुण्य का अर्जन करने का आज का दिवस है इसी व्यवहार से संसार चलता है। सहधर्मी को गलत स्थान पर गलत कार्य करने से रोकने के लिए हमें सहधर्मी को सहयोग प्रदान करना चाहिए जिससे सुंदर समाज की रचना हो सके। ज्ञानचंद कोठारी ने बताया कि जयमल जयंती का पांचवां दिवस‌ ‘जय सुपात्रदान’

के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर करीब 30 साधर्मिक बंधुओ को सहयोग सुरेशजी बैद, अशोक डी कोठारी, बबीताजी बैद, सुरेश संचेती, बंशीलाल डोसी आदि ने प्रदान किया ।

अध्यक्ष अशोक यम कोठारी ने आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी।

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